ना तो लेखनी में समर्पण है,ना सही है कभी आह कोई,
क्या लिख पाऊंगा मै,खुद के लिए,औरो के लिए!
बहा चला गया हर बार बहाव के साथ मै,
बह गया गया कभी भाव के साथ मै,
खींच-तान रही जारी सदा लगाव के साथ मै,
रहा लुटता हर बार चुनाव के साथ मै!
क्या उलझन ही जीवन है,या पकड़ ली है गलत राह कोई,
क्या कोई सही राह चुन पाउँगा मै,खुद के लिए,औरो के लिए!
ये हताशा,निराशा सब तन की है,मन की तो नहीं,
देखना मेरे स्वभाव और शब्दों में कहीं अनबन तो नहीं,
मेरे विचारों में कहीं,आत्मा का उत्पीडन तो नहीं,
मेरी मुस्कान किसी के लिए कोई चुभन तो नहीं,
ना समझ है, ना लगन,ना योग्यता ही कोई,
क्या उदहारण बन पाउँगा मै,खुद के लिए,औरो के लिए!
जय हिंद,जय श्रीराम,
कुंवर जी,
मत हो तू उदास ना हो हताश राणा
जवाब देंहटाएंकर याद की तेरा पुरखा है महाराणा
गर यूँ करेगा जो बैठ ज़माने का सोग
क्या होगा उदाहरण कांधा झाडेंगे लोग
अब भी खीचतान में जो उलझा रहा तू
रहेगा बैठा पूरी क्या खाक होगी जुस्तजू
गिलास आधा भरा हुआ है न कि आधा खाली है !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है... बधाई...
जवाब देंहटाएंलेखक के मनोभाव...
जवाब देंहटाएंअरे हरदीप , आप तो बहुत उम्दा रचनाकार हो और प्रेरक हो , फिर भी दिक्कत हो तो
जवाब देंहटाएंइन पुरानी पंक्तियो को फिर से याद करो
" माना कि हैं गम कि धूप कड़ी मायूस मगर तू ना होना
जितनी आग में तपता हो उतना ही निखरता हैं सोना "
gir ke kya jeena
जवाब देंहटाएंsar utha kar jee
agar h jeene ka jajba
to gairo ke bhi gam utha ke jee
bahut ache manobhav ki parstuti
जवाब देंहटाएंkunwar ji meri ek madad karoge
जवाब देंहटाएंjab bhi m nya msg likhne ki kaushish karti hu to mere msg ke upar hindi select karne ka option nhi aata
सुंदर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब! Bahut hi Badhiya.
जवाब देंहटाएंमहान पोस्ट
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें और मुझे कृतार्थ करें
ये उदासी अच्छी नही ... पर कविता बहुत अच्छी है ....
जवाब देंहटाएंkya baat hai, aise likha kar.
जवाब देंहटाएंaajkal tera taste badalta ja raha hai........