बुधवार, 8 जून 2011

अब शायद भारत जाग जाए.....!(कुँवर जी)

अब शायद भारत जाग जाए!

जब चाहते है सब ऐसा,
हो भारत वही पहले जैसा,
वो फिर विश्वविजय के राग गाये!
तो अब शायद भारत जाग जाये!

मै,तुम,वो;हम सब क्यों न एक हो?
सर्वहित क्यों न चाहे,क्यों इरादे न हमारे नेक हो,
भला क्यों न ये दुर्भाग्य भाग जाए!
फिर तो शायद भारत जाग जाये!

बलिवेदी पर असंख्य बेटे बलिदान हुए,
कितनी मांगे उजड़ी कितने आँचल लहुलुहान हुए,
धुल अब अतीत के सारे  दाग जाए!
शायद अब भारत जाग जाये!

बस लिखो ही नहीं झकजोर दो सबको,
 राह प्रेम की कोई और दो सबको,
अब तो कुचला नफरत का ये नाग जाये!
अब शायद भारत जाग जाये!

रोना ही किस्मत नहीं तुम्हारी कब तुम जनोंगे,
आँखे खोलो नहीं तो मर कर भी क्या जागोंगे!
जो ये आंसू तुम्हारे जन-जन में बन आग जाये,
तो शायद भारत जाग जाये!

जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी,

बुधवार, 1 जून 2011

वाह रे मोबाइल तेरी महिमा!...(कुँवर जी)


मोबाइल!

इसे तो आप जानते ही होंगे!आज के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण जरुरत यही तो है!कुछ दिनों पहले जब मोबाइल इतना प्रचलित नहीं हुआ था,तब मैंने कही पढ़ा था की "जैसे पहले गाँव में कोई रिश्तेदार या मेहमान आता था तो सबसे पहले वो घर की राजी-ख़ुशी के बारे में पूछता,फिर घर में दूध-घूँट के बारे पूछता!फिर खेत-खलिहान के बारे में!उसके बाद इधर-उधर कि बातों पर चर्चा होती!पर आने वाले समय में वहाँ भी ये बाते पुरानी हो जायेगी!घर में घुसते ही राजी-ख़ुशी के बाद पूछा जाएगा कि "पतली पिन का चार्जर है?"  

आज एक जगह फिर मोबाइल की महिमा को दर्शाने वाला मार्मिक वृत्तांत पढ़ा, आज वो ही आपके समक्ष है!

एक भिखारी किसी घर में खाना मांगने के लिए गया!
वहा उपस्थितजन ने उसे बोला कि खाना अभी बना नहीं है!

इस पर भिखारी बोला..."कोई बात नहीं;मेरा मोबाइल नम्बर ले लो,जब बन जाए मिस कॉल दे देना......" 
वाह रे मोबाइल तेरी महिमा!

जय हिंद,जय श्रीराम,
कुँवर जी,

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