शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

छद्यम सेक्युलरजिम अर्थात समाज से छद्यम व्यवहार!....(कुँवर जी)

आजकल देश में बड़ा  माहौल बना हुआ है! सनातन संस्कृति और परम्पराओ को लेकर कोई भी कभी भी कुछ भी टिपण्णी कर देता है और कमाल की बात ये है कि हर गलत टिपण्णी को भी पर्याप्त समर्थन मिल जाता है!आजकल तो माननीय न्यायलय भी  है, लेकिन न्यायलय भी ऐसा दखल केवल सनातन हिन्दू परम्पराओ,रीती रिवाजो में ही देता है! अन्य सम्प्रदायो-मजहबो में उन्हें भी कुछ अनुचितदिखाई नहीं देता,भले ही छोटे छोटे बच्चो को भी भयंकर यातना देने वाली खतना जैसी प्रथा वह मौजूद हो!तब कोई मानवाधिकार आयोग अथवा तो बाल शोषण को लेकर बना कोई आयोग अथवा NGO भी सामने नहीं आते!ईद पर जो कत्लेआम होता है उसका एक उदाहरण ईद से अगले ही दिन आई बरसात के बाद के फोटो जो सामने आये थे बांग्लादेश के, उनसे मिलता है!पर कहीं कोई आवाज  खिलाफ,जबकि हिन्दुओ के जल-दूध आदि मूर्ति को चढाने को लेकर भी कोई भी टिपण्णी  है, ऐसा न करने की सलाह देता दिख जाता है!

घूँघट को कोसने वाले सब नारीवादी व्यक्ति-संघटन और  भी, बुर्के पर मौन हो जाती है!तीन तलाक़ के लिए उनके पास बोलने को तीन शब्द भी नहीं मिलते!हिन्दू परम्परा में विवाह एक बहुत ही महत्वपूर्ण परम्परा है! व्यक्तिगत दोनों दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण और नितांत आवश्यक है, कुछ स्वयम घोषित क्रान्तिकारी इस प् भी प्रश्नचिन्ह लगाते है!लिव-इन रिलेशनशिप को  है!अरेंज मैरिज जो कि समाज के लिहाज से और नारी की सुरक्षा और सम्मान की दृष्टि से सुन्दर व्यवस्था है; इसको ही गलत बताने लग जाते है!

आज  नवरात्रो का शुभारम्भ है! पहले ३ नवरात्रे मान शक्ति की आराधना के बताए जाते है!कितने ही हिन्दू जन ही इन दिनों में माँस आदि खाने की बात सार्वजनिक मंचो पर  दिखाई देंगे!माँ शक्ति, माँ दुर्गा को गलत सिद्ध करते दिखेंगे!ऐसा कर के वो पता नहीं क्या सिद्ध करना चाहते है!अचंभित करने वाली  है कि नारीवादी व्यक्ति-सघठन और नारिया भी ऐसा करने  में आगे दिखती है!इनमे अधिकतम कम्युनिस्ट वाम दाल से  होते है  इसमें कोई दो राय नहीं है!लेकिन बहुत  को हिन्दू बताने वाले भी मिलेंगे!जिनकी सुन्दर और सनाज के के लिए हितकर हिन्दू आस्थाओ-परम्पराओ में भी श्रद्धा नहीं वो कैसा हिन्दू भला?

 ऐसे विचारक स्वयं को धर्मनिरपेक्ष बताते है और सेक्युलर कहलवाते है!लेकिन असल में ये छद्यम सेक्युलरजिम है अर्थात समाज से छद्यम व्यवहार है!सभी को सामान मानने और किसी को भी कुछ न मानने में अंतर होता है !

जय हिन्द, जय श्री राम,
कुँवर जी!

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