शनिवार, 8 जून 2019

क्या कभी......(कुँवर जी)

जब किसी राह पर सब कुछ तपाती हुई इस धूँप से परेशान होते होंगे तो जरूर नजर किसी पेड़ को तलाश करती होगी! जैसे ही कही कोई छोटा मोटा  जैसा भी पेड़ दिखा नहीं कि सुस्ताने के लिए मन करता ही होगा! कही बहुत ज्यादा जल्दी ना हो तो कुछ देर पेड़ के नीचे रुक जाते भी होंगे , किसी शीघ्रता के कारण यदि ना भी रुके तो भी मन में उस छाँव का मोह तो उपजता ही होगा, काश; कुछ देर रुक पाते यहाँ!यदि रुक जाए तो अवश्य ही बहुत शान्ती मिलती होगी, मन से इस पेड़ को लगाने वाले के लिए बहुत आशीष भी निकलते होंगे!

क्या कभी ऐसा पेड़ लगाने की बात भी मन में आती है?

जय हिन्द, जय श्रीराम!
कुँवर जी !

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