शनिवार, 30 जुलाई 2022

'तुम' कह रहे हो ......... मै कैसे कहूं...?

 'तुम' कह रहे हो ......... मै कैसे कहूं...?

टपका दो ये आंसूं,
जो आँखों में
अटक गया है!
टपक जाएगा,
पहला तो नहीं टपकेगा!

तुम कह रहे हो
मत पछताओ,
जो हो गया
सो हो गया,
पहली बार तो नहीं हुआ है!

अरे जब
है 'मै' और 'तुम'
तो
'हमारे' और 'तुम्हारे'
तो होंगे ही!
तुमने तो कह दिया!

मै कैसे कहूं...?

कैसे कहूं कि
कल तक 'हमारो' में हमारा था मै!
आज
"हमारो" में "तुम"
हो के आया हूँ,

'अपनों' में 'तुम' हो कर

अब
रोऊँ मै किसके आगे?

उनके आगे
जो हमारे कभी बताये ही नहीं गए,
या फिर
उन अपनों के आगे
जो अपने ही दिखाई नहीं दिए!

"अपनापन" कहीं गिर ना जाए"

'तुम्हारो' की नज़र में
इसीलिए
नहीं टपकता
ये आँखों में अटका आंसू!

रविवार, 5 अप्रैल 2020

कोरोना के बाद बिना कोई मशीन छुए हाजिरी कैसे लगवाए?

कोरोना महामारी  ने विश्व के आगे अनेको चुनौतियों के पहाड़ खड़े कर दिए है! वर्तमान में तो जीवन ठप्प हो ही गया है, जब कोरोना का असर काम होगा/ख़त्म होगा, उसके बाद भी बहुत दिनों तक कोरोना की गूंज वातावरण में रहेगी ही! अभी कार्यलयो में जो हाजिरी  सिस्टम या अटेन्डेंस सिस्टम चला हुआ था ऊँगली या अंगूठे की पहचान द्वारा उस से लोग स्वाभाविक ही घबराएंगे! क्या पता जिसने मुझ से पहले पांच किया था उसकी अंगुली/अंगूठा बिलकुल साफ़ था या नहीं? जीवाणु/विषाणु रहित था या नहीं?

भले ही हम किसी को कहे या न कहे, लेकिन ये दर हमारे मन में अवश्य बना ही रहेगा  और ये एक हद तक सही भी है! जब केवल सुरक्षा ही बचाव है, ऐसे वातावरण में हमें सावधानी अवश्य ही रखनी चाहिए!

आजकल बाजार इतना प्रतिस्पर्धी व् हर समस्या का हल प्रस्तुत करने का इतना उत्सुक हो गया है कि हर समस्या का हल उसके पहले ही प्रस्तुत कर देता है! इस अंगुली/अंगूठा पंच सिस्टम से बचाने के लिए भी एक हल बाजार ने दे दिया है!
 अब आप इस लिंक में दिए गए वीडियो को ही देखिए!
इसमें दिखाया गया है कि  कैसे हम बिना किसी मशीन को छुए कैसे अपनी अटेन्डेंस लगा सकते है/लगवा सकते है! इस से न तो किसी भी प्रकार के संक्रमण फैलने का खतरा ना किसी भी प्रकार के भय  या वहम में रहने का डर!बेफिक्र होकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाइये!
यहाँ पर आपको ऐसी मशीने व् इन से सम्बंधित हर प्रकार की समस्या का समाधान आसानी से उपलब्ध होगा!


गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

श्री राम जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई व् शुभकामनाये

जय श्री राम
 आप सभी को श्री राम जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई व् शुभकामनाये!
मंगल भवन अमंगलहारी श्री राम का

शनिवार, 8 जून 2019

क्या कभी......(कुँवर जी)

जब किसी राह पर सब कुछ तपाती हुई इस धूँप से परेशान होते होंगे तो जरूर नजर किसी पेड़ को तलाश करती होगी! जैसे ही कही कोई छोटा मोटा  जैसा भी पेड़ दिखा नहीं कि सुस्ताने के लिए मन करता ही होगा! कही बहुत ज्यादा जल्दी ना हो तो कुछ देर पेड़ के नीचे रुक जाते भी होंगे , किसी शीघ्रता के कारण यदि ना भी रुके तो भी मन में उस छाँव का मोह तो उपजता ही होगा, काश; कुछ देर रुक पाते यहाँ!यदि रुक जाए तो अवश्य ही बहुत शान्ती मिलती होगी, मन से इस पेड़ को लगाने वाले के लिए बहुत आशीष भी निकलते होंगे!

क्या कभी ऐसा पेड़ लगाने की बात भी मन में आती है?

जय हिन्द, जय श्रीराम!
कुँवर जी !

बुधवार, 20 मार्च 2019

प्रोपगेंडा फैलाने की प्रयोगशाला टीवी विज्ञापन के प्रयोग और उसके असर (कुँवर जी)

सिनेमा और टीवी व विज्ञापन की ताकत को वामपंथी कसाई ईसाई पापीये कंगले खूब समझते है, और विज्ञापन जगत में अच्छी पकड़ भी इन्होंने बनाई है। अपने प्रोपगेंडा को जनमानस के मानस में उतारने के लिए इनका बखूबी प्रयोग भी ये करते है। सबसे ताजा उदाहरण आपको #सिर्फ_एक्सेल वाला ध्यान होगा। आजकल एक हॉटस्टार के ऑनलाइन वीडियो सीरीज़ का विज्ञापन आता है, बदलाव की बयार बहाने वाला।

उसमे दिखाया जा रहा है कि अपने यहाँ बाप और बेटा दोस्त नही हो सकते, लेकिन चलो बदलते है, और बाप बेटा साथ दोस्त बन कर दिखते है। आगे दिखाया जाता है कि छोटे शहरों में बड़े बिजनस की शुरुआत अपने यहाँ नही होती, लेकिन बदलते है, और एक छोटे शहर में कार का डिजाइन तैयार होता दिखता है। ऐसे कुछ क्रान्तिकारी बदलाव के बीच दिखाया जाता है कि एक कपल डाँस पार्टी में दो लड़के गले मे बाहें डाले खड़े है, स्लोगन बोला जाता है कि अपने यहाँ ऐसे प्यार की कोई जगह नहीं, लेकिन बदलते है, और दोनों लड़के और अधिक लिपट जाते है और सभी उनको नॉर्मली ले रहे होते है।

आप समझ गए होंगे, कैसे विज्ञापन जगत और ये सिनेमा, बल्कि आजकल का ऑनलाइन शार्ट फ़िल्म जगत कैसे समाज को खोखला कर रहे है। ये विज्ञापन टीवी सीरियल में, मैच के बीच मे किसी भी समय चल जाता है, जब पूरा परिवार टीवी देख रहा होता है, बच्चे भी। बड़े तो चलो बच भी जाए इस विज्ञापन के अस्त्र से, लेकिन ये बच्चो के भोले मन गंद का बीज तो बो ही जाएगा। एक बहुत गन्दी बात, जो सदा ही धिक्कारने के, दुत्कारने के लायक ही रहेगी, उसे बच्चे देख कर ऐसा तो चलता है वाली फिलिंग लेने लग जाएँगे। उफ्फ, कितना बुरा माहौल बनाया जा रहा है।

चूँकि इन सब गन्दी हरकतों को केवल इस्लाम ईसाई और वामपंथी जैसे गलीज पंथों में ही मान्यता है तो उनको इन से कोई दिक्कत नही होगी, लेकिन एक सनातनी परिवार के लिए तो ये एक गम्भीर समस्या ही है। आजकल सनातनी परम्परा की और झुकाव केवल बीजेपी का ही है, अन्य किसी पार्टी का नही है, और इन वामी कामी झामी सभी को इस पार्टी की आम जन में बढ़ती लोकप्रियता गम्भीर समस्या बनी हुई है। आम जन में बीजेपी के और इसकी नीति के प्रति विक्षोभ पैदा करने के लिए पुनः आम विज्ञापन का अस्त्र चलाया गया है।

डेली हंट न्यूज़ पोर्टल है शायद कोई, उसका विज्ञापन देखा। उसमे आदमी को तोता बना दिखाया गया है, और प्रेरणा दी गयी है कि हमे सचेत रहना चाहिए, अपने विवेक का प्रयोग करना चाहिए, किसी के कुछ भी कहने को ऐसे ही नही मान लेना चाहिए। आपको लगेगा इसमे भला गलत है ही क्या? लेकिन इनकी चाल ही ऐसी होती है कि एकदम तो बहुत अच्छी, बल्कि बहुत जरूरी भी लगती है। अब इसमें दिखाया गया है कि किसी ने कह दिया कि GST ने सब बहुत सरल कर दिया है, तोता बना आदमी ये बात मान लेता है, आगे भी बोलता है कि जीएसटी ने तो सब एकदम सरल कर दिया है। फिर आता है एक तत्वज्ञानी, वो बोलता है ऐसे ही किसी के तोते मत बनो कि जीएसटी ने सब सरल कर दिया। देखो डेली हंट और जागरूक बनो। किसी का तोता मत बनो। अब ये विज्ञापन केवल डेली हंट का ही था क्या? जरूरी नही के अपने पक्ष में ही कुछ दिखाओ बोलो, विरोधी के विपक्ष का माहौल बना दो।

कुछ आया समझ मे, सीबीआई को सरकार का तोता कहने का भी एक दौर बड़ा मशहुर हुआ था, आपको ध्यान तो होगा ही।

जय हिन्द जय श्रीराम,
कुँवर जी।।

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