आस्था, उल्लास, आनन्द और समरसता के इस पावन पर्व पर सभी को परमपिता परमात्मा शान्त चित्त दे, सुखी जीवन दे, समृद्ध व्यवहार दे, अध्यात्मिक वातावरण दे, इश्वर प्रीति-गुरु भग्ति दे, सद्ज्ञान दे।
निरोगी काया निर्मल मन हो,
सात्विक आहार और
थोडा दान के लिए भी धन हो।
सृष्टि-हित और समाज-हित के अनुसार ही स्वयं-हित करते रहने की समझ हो।
कुछ ऐसी सी ही असीम और अनंत शुभेच्छाओ और प्रार्थनाओ को पूरी करने वाली हम सब की दीवाली हो।
कुँवर जी,
जय हिन्द, जय श्री राम।
निरोगी काया निर्मल मन हो,
सात्विक आहार और
थोडा दान के लिए भी धन हो।
सृष्टि-हित और समाज-हित के अनुसार ही स्वयं-हित करते रहने की समझ हो।
कुछ ऐसी सी ही असीम और अनंत शुभेच्छाओ और प्रार्थनाओ को पूरी करने वाली हम सब की दीवाली हो।
कुँवर जी,
जय हिन्द, जय श्री राम।