शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

संवेदना दिखाने को संवेदनहीन होते लोग,(कविता), (वयंग्य)

संवेदना दिखाने को
संवेदनहीन होते लोग,

दुसरो को जगाने के लिए
अपने होश खोते लोग!

हाँ मै अभी जिन्दा हूँ,
बस यही बताने के लिए
जिंदगी को ढोते लोग!

ओरो की नींद उड़ा,
खुद चैन से सोने के
सपने संजोते लोग!

भगवान् ने इंसान बनाए
वो ही अब
हिन्दू-मुस्लिम होते लोग!

हथियार उठा जो खड़े थे
मैदान में,
छुप कर सबसे
अकेले में वो रोते लोग!





जय हिंद,जय श्रीराम,
कुंवर जी,

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत शानदार
    छा गये कुंवर जी
    और क्या कहू
    बहुत ही शानदार रचना

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  2. ठीक कहा कुंवर जी
    आज माहोल बिलकुल ऐसा ही हो रहा हैं
    लोग सोचते कम हैं और किसी के कहे पे चलकर धरम ईमान पे जान देते और लेते हैं
    धरम इंसान ने बनाये हैं भगवान् ने नही .
    भगवन ने तो इंसान बनाये हैं
    बहुत अच्छी बात कही हैं ये आपने

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  3. किसी शायर ने ठीक ही कहा है

    मेरे दिल के कोने में एक छोटा सा बच्चा रहता है
    जो देखकर दुनिया बड़ों की बड़ा होने से डरता है

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  4. बहुत ही सुन्दर और शानदार रचना लिखा है आपने! बहुत बढ़िया लगा!

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  5. वाह!! ........बहुत बढिय लिखा आपने ....

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  6. सच कहा, जब तक जाति-धर्म के जाल मे फसे रहेगे तब तक समाज का विकास सम्भव नही..

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  7. apna karm pura karti aapki ye rachna utsaah ka sanchaar karti hui acchhi rachna. badhayi.

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  8. जन चेतना जागृत करती रचना....बहुत बढ़िया लिखा है

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  9. आप सभी के यहाँ पधार कर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए अपने अमूल्य विचार प्रस्तुत करने के लिए आप सब का मै आभारी हूँ जी!ये स्नेहाशीष सदा ही बनाए रखे!

    कुंवर जी,

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  10. बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील विषय, हृदयस्पर्शी चर्चा

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  11. सच है लोग संवेदनहीन होते जा रहे हैं .... समय की मार है ...

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