शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

ओ हिन्दू जाग!क्योंकि सभी को जगाना है!...(कविता),

ओ हिन्दू जाग!क्योंकि सभी को जगाना है!
पहले खुद को जान जो सबको बतलाना है!


शिराओ में बहता  खून जैसे पानी हो गया है,
रबड़ और नालियों में बहने का नाम ही जवानी हो गया है,
हुंकार भरने का विचार अब आसमानी हो गया है,
मन की मानना ही बस अब मनमानी हो गया है!
पुराना इतिहास तो कहानी हो गया है,अब नया बनाना है!




जमीर मर गया है या सो रहा है ये सोचना पड़ेगा,
क्या करना है और क्या हो रहा है सोचना पड़ेगा,
सही भी है या नहीं जो हो रहा है सोचना पड़ेगा,
क्या पाने के लिए क्या खो रहा है सोचना पड़ेगा!
कैसे जीना है सोचना पड़ेगा,नहीं तो मर जाना है!


कल नहीं सोचा था तो आज मजबूर है हम,
जो चल पड़े तो भला मंजिल से कब दूर है हम,
पुष्प कि ज्यूँ  कोमल तो यम की तरह क्रूर है हम,
मृत्य के सम्मुख भी सीना तान ले जो वो ही शूर है हम!
खाली दंभ में नहीं चूर है हम,ये भी तो दिखाना है!
















जय हिन्द,जय  श्री राम!



कुंवर जी,

26 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसी ही कवि‍ता एक सि‍ख भी लि‍खे, एक मुसलमान भी, एक ईसाई भी और जब sab jaag jayen to maar-kaat macha kar kisi India naame ke desh ko khatm kar dain.... aur dunia me bhi hinsa ko badhawa de

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    1. श्री मसान आनंद जी ननस्कार
      यदि आप सच में हिन्दू धर्म से सम्बन्ध रखते हैं तो आप सही मायने में सोये हैं । आप एक बात अवश्य जान लें धर्म कोई भी हो उसमे एकता होनी इस्लिलिये जरूरी हे की कोई दूसरा उस पर हमला करने से पहले 100 बार सोचे । शेर भी भेडियो के झुण्ड पर घात करने से डरते हैं। आज कमोबेश हिन्दू की हालात खरगोश जैसी हुई पड़ी हे। दुनिया के किसी भी कोने में हिन्दू के खिलाफ कुछ अन्याय हुआ हो और हिन्दू एक हो कर उसके खिलाफ हुआ हो इस कोई वाकया हो तो बताओ।
      नहीं ऐसा नहीं हुआ । इसका परिणाम ये आज हमारी नाक के नीचे हिंदुड़तं में ही हिन्दू विरोधी गति विधिया होती हैं क्योंकि सब जानते हैं मूर्खो और कमजोरो के खिलाफ कुछ भी करो । कोई विरोध में नहीं आने वाला।
      और हर कोई ताकतवर के साथ ही जुड़ना चाहता हे ये सब जानते हैं।
      पर आप जैसे भाई अपने आराम के लिए सबको सोने की सलाह देते नहीं शरमाते। के किसी हलचल के कारन आप की नींद न खुले। पर याद रहे यु सोते रहे तो शायद चिर निद्रा में ही लीं हो जायेंगे सभी हिन्दू। तब इंडिया तो होगा पर उसमे हिन्दू नहीं बचेगा

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    2. युद्ध कभी सुखद नहीं होते मगर शांति के लिए अनिवार्य होते हैं

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    3. आप पढ़े लिखे अनपढ़ निकले

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    4. vipin jain jee हम आपकी बातो से सहमत हैं

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  2. जाग हिन्दू जाग "हरदीप" करे तेरा आह्वान
    जागे बाद बचा हो तुझमे गर "अमित" अभिमान
    तो कर तू दधिची सा दान
    हो हरीशचंद्र सा सत्यवान
    भर हुंकार राणा प्रताप सी
    कर करनी वीर शिवाजी सी
    ना कहना "क्यों ना जगाया", "समय ने भरमाया"
    ना कही साथी आगे बढ जाये,रहें ना कोई हमराया

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  3. अमित भाई:आपके इसी सहयोग और प्रेरणा की मुझे हमेशा जरुरत रहती है!अपनी इस रचना मुझे भी एक कोना देने के लिए मै आपका आभारी हूँ!आह्वान तो समय का ही है जी!
    कुंवर जी,

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  4. हमें हैरानी होती है ये देखकर कि लोगों को हिन्दू शब्द का अर्थ तो पता नहीं और चल पड़ते हैं टिप्पणी लिखने।आन्नद जी पहले ठण्डे दिमाग से हिन्दू का अर्थ समझिए फिर एसे लेखों पर टिप्पणी कीजियगा। इतनी सुन्दर और सामयिक रचना को आपने बुरा कहकर अपनवी सोच का दिवालियापन जाहिर कर दिया

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  5. आनन्द जैसे ब्न्धुओ को वाकै पहले हिन्दु धर्म को सम्झना चाहिये क्यो कि और तो पहले ही जागे हुये है सो तोबस आप जैसा हिन्दु ही रहा है
    वेद व्यथित

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  6. anand ji aapko pahale hindu tiger aur vedvyathit se hindutva ki paribhasha sikhni chahiye au uske baad hi tippani karni chahiye.

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  7. सुन्दर भावाभिव्यक्ति...बेहतरीन प्रस्तुति..बधाई.

    *********************
    "शब्द-शिखर" के एक साथ दो शतक पूरे !!

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  8. इस रचना में बहुत आग हैं . पर ये बहुत प्रासंगिक भी हैं . जैसे कि तुम्हे पता हैं कि हिन्दू मुस्लिम मुद्दे पर तो मैं कुछ बोलूँगा नहीं पर एक पंक्ति जो मुझे सबसे अच्छी लगी वो ये हैं
    " रबड़ और नालियों में बहने का नाम ही अब जवानी हो गया हैं " सच में जवानी अगर ऐसे ना बहती तो हम हिन्दू मुस्लिम झगड़ो में भी ना पड़ते .
    इसका स्पष्टीकरण तुम्हे व्यक्तिगत दूंगा क्योंकि हिन्दू मुस्लिम एक ऐसा षड्यंत्र हैं जो शब्दों से लेकर खून तक में शामिल हो गया हैं . हम ईश्वर /अल्लाह कि लड़ाई खुद करने पर उतारू हो गए हैं . क्या सच में ईश्वर इतना कमजोर हैं जो मिट सकता हैं ,

    वो अगर परम सत्ता हैं तो फिर खुद अपनी रक्षा क्यों नहीं करती

    हरि शरणम् .

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    1. भाई जी आपकी बातो से तो यही लगा की आप ईश्वर की परम सत्ता को आजमाने के लिए चुनोती दे रहे हैं। यही बात में आपकेप्पास जोड़े हुए धन वेव्हाव के बारे में कहूँगा । कहते हैं पैसे में बड़ी ताकत हे तो आप भी सारा पैसा खुले में रख क सो जाओ आराम से । पैसा खुद अपनी रक्षा कर लेगा आप क्यों उसे तालो में बंद किये हो

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  9. bahut hi joshili aur bhav pravan kavita laga aise jaise kahi kuchh kho gaya tha use aapki kavita ne punah yaad dila diya.

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  10. बहुत सुन्दर भाव औरअभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रूप से प्रप्रस्तुत किया है! बधाई!

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  11. जबरदस्त अभिव्यक्ति .......बेहतरीन रचना के लिए बंधाई .

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  12. आप ऐसी ही रचनाएं सुनाते रहो ...हम जाग ही जायेंगे

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  13. सच में पुराना इतिहास अब कहानी बन चुका है ... वैसे भी रामायण, महाभारत अब एपिक पब गये हैं ... एतिहासिक दस्तावेज़ नही रह गये ...

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  14. उम्मीद है कि हिंदू से आपका मतलब हिदी या हिंदुस्तानी ही होगा । जोश भरने वाली कविता

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  15. मैं कभी यह नहीं समझ पाया कि क्यों लोग हिन्दुओं से घृणा करते हैं !!
    अब Mrs. Asha Joglekar ने कहा…कि हिन्दू का अर्थ हिन्दुस्तानी ही होगा, क्यों अगर हिन्दू धर्म के मानने वाले ही हों तो क्या यह कविता बुरी हो जायेगी या हिन्दू का उत्थान गलत हो जाएगा.
    जब दलित उद्धार के लिए कोई संगठन बने तो उसकी प्रशंसा की जाती है, पर अगर हिन्दू उत्थान की बात की जाय तो वह बात गलत हो जाती है !!
    आनंद जैसे मूर्खों को छोडिये और जय हिंद जय श्री राम का स्वर बुलंद करिए.

    जय हिंद जय श्री राम

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  16. SAHI HE

    जय हिंद जय श्री राम

    NICE

    http://kavyawani.blogspot.com/

    SHEKHAR KUMAWAT

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  17. चूँकि हमारे देश में सभी एक स्वतंत्र देश के नागरिक है सो सभी अपने हिसाब से हिन्दू कि परिभाषा दे सकते है!मेरे हिसाब से मै हिन्दू हूँ!जो कविता मैंने लिखी थी वो सबसे पहले तो मैंने अपने लिए ही लिखी थी!फिर मुझे लगा कि ये सभी को पढनी चाहिए!कुछ गलत होगा तो कोई तो बतायेगा,मै उनका शुक्रगुजार हूँ कि वो यहाँ आये और उन्होंने अपने अमूल्य विचार यहाँ प्रस्तुत किये!

    kunwar ji,

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  18. धर्म की रक्षा करे हम धर्म का उत्थान हो।
    निस्वार्थ निश्छल भावना हो जिसका हमे अभिमान हो
    शीश चाहे कट भी जाये पर न झुकने पायेगा
    संकल्प हे भाई का भाई क लिए मिट जायेगा
    नम्र हों हम नेक हों हममे परस्पर प्यार हो
    पाप का हो सामना तो एकता हथियार हो
    गीता की बानी भी कहती अधर्म विध्वंस ठीक है
    अन्याय सहना घुट के रहना कायरता क पर्तीक हे
    क्षमा मय हो आचरण हम दयालु हो दयावान हो
    अनर्थ को पर न सहे चाहे सेकड़ो बलिदान हो
    परमात्मा के अंश हे हम ऋषियो की सतांन हे
    पंथ चाहे जो भी हो पहले सभी इंसान हे
    त्याग तप और योग के बल पे अखंड इकाई का निर्माण हो
    सत्य का हो मार्ग अपना जग में ऊंचा स्थान हो
    धर्म की रक्षा......

    आप सभी विशिष्ट भाइयो से नम्र एवं विशेष निवेदन ह कि उपरोक्त प्रेरणा गीत को आत्मसात करे और किसी प्रकार की अनेतिक पोस्ट इस ग्रुप में न डाले। इस ग्रुप में मेरे वे सभी मित्र एव भाई शामिल हैं जिन्हें मेरे दुःख में दुःख और सुख में सुख का आभास कदाचित मुझसे भी अधिक होगा। हर व्यक्ति के जीवन में ऐसे मित्र अवश्य होते हैं जिन पर उन्हें खुद से ज्यादा विश्वास होता है या ये कहे के दोजिम एक जान होते हैं ऐसे लोगो को इस ग्रुप में शामिल अवश्य करे। अपना परिचय क्षेत्र आदि सव्यम् ग्रुप में डालने की कृपा करे
    मेरा उदेश्य मात्र इतना हे क एक ऐसा परिवार तैयार हो जाये जो सुख दुःख में साथ खड़ा हो एक ऐसा मंच तैयार हो जाये जिसमे हम अपने हालात और बात बेख़ौफ़ कह सके सामर्थ्यानुसार योगदान ले और दे सके। इस लिए आपसे फिर से निवेदन हे कि केवल विश्वसनीय लोगो को ही ग्रुप में परिचित करे अभी तक क सदस्यों की विश्वसनीयता की गारन्टी मेरी ह जितना विश्वास एव सहयोग मेरे साथ करते हैं उतना आप एक दूसरे पर कर सकते हे
    धन्येवाद आपका भाई वीर पंकज

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