खेलता हूँ मै भी दुखो से,ये कैसे बताऊँ मै,
जिसको अब तक रहा छिपाता,कैसे जताऊँ मै!
भगवान् जो लिख चुका सो लिख चुका,
अब क्या उसको दोहराऊं मै,
मुझे खुद से जुदा करने वाला वो ही तो था,
अब बिन बुलाएं भला क्यों उसके पास जाऊं मै,
हूँ ही क्या मै उस से अलग हो कर,
फिर क्यूँ खुद को "कुछ" दिखाऊं मै,
कुंवर जी,
अब बिन बुलाए भला क्यों उसके पास जाऊं मैं आशावादी संदेश , बेहत्रीन रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंहर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
sanjay bhaskar
wow !!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंbahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
बेहतरीन रचना ...
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंlage raho
ab bachha sahi direction me ja raha hai.
जवाब देंहटाएंkhuda ki batein karne laga hai wo bhi pahle ulahna dekar aur baad me usi ko sab kuch bata ke. (Nusrat style ??????)