मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

अरे हिन्दू होगा!(वयंग्य),

राम राम जी,,,
मेरी पिछली कविता ने मेरे मन में कई प्रशन खड़े कर दिए!एक तो यही कि आखिर ये हिन्दू कौन है भई? 

ये हिन्दू कौन है भई?
पहले  जो वयांख्या थी,पहले थी!
अब तो जो बेचारा सा लगे,
भाइयो में भी न्यारा से लगे,
एक समर्थ मजबूर जो है,
वही हिन्दू है!


आज जो स्थिति बनती जा रही है हिन्दू की,उस पर बहुत दुखी होकर ये पंक्तियाँ  लिखी जा रही है!
हर कोई हिन्दू "शब्द" को भी और "हिन्दू"
को भी अपने मतलब के हिसाब से प्रयोग कर रहा है!इसके लिए जिम्मेवारी कौन ले!

हद की बात तो ये है कि हर कोई चाहता है कि भगत सिंह पैदा हो,पर हमारे घर में नहीं,पड़ोसी के घर में!नीचे जो लिखा गया है वो थोडा और स्पष्ट करेगा कि हिन्दू कौन है!


जो मर्जी उसे कुछ भी कह जाता था
वैसे घर उसी का था मगर,
हर कोई उसे धमका जाता था!
'तुझे बोलने का हक़ नहीं'
कह कर हर कोई उसे दबाता था!
डरपोक तो वो  था
पर निर्लज्ज नहीं बेचारा,
जब ही तो
आंसुओ को अपने छुपाता था!
जो  भी  सुनता कहता...
अरे हिन्दू होगा!


वो गरीब है,लाचार है,
थोडा मानसिक बीमार है,
मज़बूरी दिखता फिरता है
अब ये ही उसका व्यवहार है,
अपनी कायरता पर रो-रो कर
साहनुभूति लेना 
उसका जन्मसिद्ध अधिकार है!
कोई सुनता है तो कहता है...
अरे हिन्दू होगा!


जय हिंद,जय श्री राम,
कुंवर जी,









13 टिप्‍पणियां:

  1. अपने विचारों का सुन्दर अभिव्यक्ति ...

    विकास पाण्डेय
    www.vicharokadarpan.blogspot.com

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  2. kaash ki ye "bechara" wala bandhan desh ka har hindu tod de..

    kunwar ji,

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  3. भैया कुंवरजी ,
    एक नारा RSS वाले लागतें है की "हिन्दू जागेगा तो विश्व जागेगा"
    और शायद भगवान अभी दुष्टों का नाश करने के लिए हिन्दुओं को जगाना नहीं चाहता है, जिससे की ये दुष्ट लोग मोह निद्रा में सोये-सोये पापों के भर तलें दब जाये . बाकि तो जो भगवन की मर्जी .

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  4. आप सब इसी तरह कोशिस करते रहे तो हिन्दू जरूर जागेगा ।भगवान करे अकेला-अकेला न जागे सब एक साथ जागें।

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  5. Sach hai...har kiseeko Bhagat singh kahen yaa Gandhi kahen,talash hai,lekin kisi aur ke gharme..

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  6. Hindu na to bechara tha aur na hi rahega. bechare to wo rah jayenge jo hame bechara kahne par tule hain.

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  7. सही कह रहे हैं ..[जागें कैसे?अपने ही अपनों कि जड़ें काटने में लगे हैं]

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