मुझे पीने का शौंक नहीं,बस पी लेता हूँ!
सोचता हूँ आज फिर कोई मार दे मुझे,
अपने हिस्से के गम सारे उधार दे मुझे,
निगाह-ए-खंज़र उपहार दे मुझे,
गौर करे ना करे पर सुने तो,
हमे ना बताये पर हमे चुने तो,
पूरे ना हो सपने सही हम बुने तो,
शोख अदाओं का हसीं सा खुमार दे मुझे,
मिले ना मिले पर मिलने का इंतज़ार दे मुझे,
इन्ही ख्यालों में बस जी लेता हूँ!
मुझे पीने का शौंक नहीं,बस पी लेता हूँ!
कुंवर जी,
कुंवर जी'
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h,vaise mere blog pe kuch nahi h, in saheban ko jawab dete-dete hi time pura ho jata h.
likh kafi achha lete h.