आज समाज धर्म या जाति के भंवर में ऐसा फंसा हुआ है कि उचित-अनुचित की सुध-बुध ही खो सी गयी है!धर्मान्तरण पर तो चर्चा खूब जोर-शोर से होती है लेकिन इस पर गौर नहीं किया जाता के ये हो ही क्यों रहा है!
यदि हम देखे तो जो हिन्दू बहुत गरीब या अनपढ़ है वो ही धर्म परिवर्तन जैसी गलतिया कर रहे है!उनमे भी अधिकतर वो हिन्दू है जिनको कुछ "विशेष हिन्दू" बड़ी घृणा की दृष्टी से देखते है!जो जैसा भी है उसको वैसा ही सम्मान तो मिलना ही चाहिए!ये तो ठीक है पर दण्ड तो अपराधी को ही देना चाहिए!
तो उस गरीब,अनपढ़ हिन्दू का यही अपराध है के वो एक हिन्दू है!
वो बेचारा क्या करेगा?जिन आँखों में उसे अपने लिए सम्मान दिखाई देगा वो तो उन्हें ही अपना हमदर्द समझेगा,यही होना भी चाहिए!उन भोलो-भालो को नहीं पता के ये सम्मान नकली है,या ये कोई षड़यंत्र है!
मेरे एक मित्र की भावनाए जो मैंने महसूस की, उनको अपने शब्द देने की कोशिश की है!यदि शब्द भी उसी के प्रस्तुत कर दू तो "विशेष हिन्दुओ" को शर्म में डूब मरने के सिवाए कुछ रास्ता भी दिखाई ना दे!
'तुम' कह रहे हो
टपका दो ये आंसूं,
जो आँखों में
अटक गया है!
टपक जाएगा,
पहला तो नहीं टपकेगा!
तुम कह रहे हो
मत पछताओ,
जो हो गया
सो हो गया,
पहली बार तो नहीं हुआ है!
अरे जब
है 'मै' और 'तुम'
तो
'हमारे' और 'तुम्हारे'
तो होंगे ही!
तुमने तो कह दिया!
मै कैसे कहूं...?
कैसे कहूं कि
कल तक 'हमारो' में हमारा था मै!
आज
"हमारो" में "तुम"
हो के आया हूँ,
'अपनों' में 'तुम' हो कर
अब
रोऊँ मै किसके आगे?
उनके आगे
जो हमारे कभी बताये ही नहीं गए,
या फिर
उन अपनों के आगे
जो अपने ही दिखाई नहीं दिए!
"अपनापन" कहीं गिर ना जाए
'तुम्हारो' की नज़र में
इसीलिए
नहीं टपकता
ये आँखों में अटका आंसू!
हमें जागना होगा,छोड़ना होगा ये झूठा दंभ!हर किसी में परमात्मा बताता है अपना धर्म,उनमे भी जिनको हम अपने घर में घुसने नहीं देते,अपने आसनों पर बैठने नहीं देते और तो और जो सबसे हास्यास्पद है, अपने भगवान् को भी पूजने नहीं देते!इस से पहले की कोई और क्षुब्ध,आक्रामक,असंतुष्ट धर्म जन्म ले हमे सब में परमात्मा देखना ही होगा!
कुंवर जी,
आज हम गहन अध्ययन के वाद कह सकते हैं कि जो हिन्दू किसी दूसरे हिन्दू धुआधूत करे या बर्ण के आधार पर भेदभाव करे वो हिनदू नहीं हो सकता ।अधिक जानकारी के लिए हमारे बलाग पर हिन्दू एकता सिद्धांत जरूर पढ़े क्योंकि हिन्दूओं के अन्दर आक्रममकारी मुसलामनों और इसाईयों द्वारा पैदा किए गय इस भ्रम को यथाशीघ्र दूर करना अतयन्त आवस्यक है वरना न वो बदेंगे जो छुआधूत करते हैं और न वो बचेंगे जिनसे धूआधूत की जाती है सब के सब उसी तरह मिटा दिए जायेंगे जैसे कशमीरघाटी से मिटा दिए गए।
जवाब देंहटाएंhme ek hona hi padega.
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