उदास हो के मै क्या पाऊंगा?
दूर हूँ,पास हो के मै क्या पाऊंगा?
हाँ,अँधेरा बन के गुम हूँ मै,
होते ही जो बिखर जाए
वो प्रकाश हो के मै क्या पाऊंगा?
तारे कि तरह टूट गया,सही है ये भी,
जो कभी पूरी ना हो पाए
वो आस हो के मै क्या पाऊंगा?
चलो वहम ही बना रहूँ मै दिल में तुम्हारे,
जो इक पल भी ना टिक पायें
वो विशवास हो के मै क्या पाऊंगा?
नाकाम ही सही एक पहचान तो है,
जो कभी किया ही ना जाए
वो प्रयास हो के मै क्या पाऊंगा?
देखा नहीं तुमने मुझे शुक्र है,
जो महसूस ही ना किया जाए
वो आभास हो के मै क्या पाऊंगा?
आम ही समझना मुझे तुम सदा
जो सम्भाला ही ना जाए
वो ख़ास हो के मै क्या पाऊंगा?
जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुंवर जी,
बहुत खूब, अच्छी रचना है बधाई
जवाब देंहटाएंवाह्!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.....
चलो वहम ही बना रहूँ मै दिल में तुम्हारे,
जवाब देंहटाएंजो इक पल भी ना टिक पायें
वो विशवास हो के मै क्या पाऊंगा?
बहुत अद्भुत कुंवरजी! विश्वास की ही कमी आज समाज में खटक रही है......................
ढूंढता है अमित विश्वास को चिराग श्रद्धा का लिए
पता नहीं कहाँ गया काफ़िर चैन ज़माने का लिए
जो सम्भाला ही ना जाए
जवाब देंहटाएंवो ख़ास हो के मै क्या पाऊंगा?
Beautiful creation !
@divya ji- aapka swaagat hai ji,dhanyawaad hai ji,
जवाब देंहटाएं@amit bhai sahaab-bahut khoob..
@pandit ji,@nirmla kapila ji- aap sabhi ka aabhaar...
ye snehaashish aise hi banaaye rakhna ji....
kunwar ji,
जो पाने को दुनिया मरी जाती हो..आपने उसे ठुकरा के कह दिया पाकर क्या पाउँगा... ये भाव सीखने में उम्र बीत जाती है... कितनी सहजता से खा है आपने!
जवाब देंहटाएंजो महसूस ही ना किया जाए
जवाब देंहटाएंवो आभास हो के मै क्या पाऊंगा?
मुझे बहुत पसंद आई ये दो पक्तियां बेहद प्रभावी लगी.मन की बात को अपने बखूबी बयां किया है है..सुन्दर और रोचक पोस्ट .
विकास पाण्डेय
www.vicharokadarpan.blogspot.com
nakaam hi sahi ek pehchaan to hai
जवाब देंहटाएंgood poem !!!!!!!!!!!!!!
खूबसूरती से लिखे एहसास.....
जवाब देंहटाएं@ Kunwarji,
जवाब देंहटाएंआपने मेरे ब्लॉग पर टिपण्णी करके आपने मेरा हौसला बढाया इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.. कोशिश करूँगा कि आगे भी "हिन्दुस्तान" के खिलाफ उठने वाले वाले हर कदम के बारे में लिखूंगा...
प्रशंसनीय ।
जवाब देंहटाएंआप सभी ने इन भावो को सम्मान दिया उसके लिए आभार....
जवाब देंहटाएंआम ही समझना मुझे तुम सदा
जवाब देंहटाएंजो सम्भाला ही ना जाए
वो ख़ास हो के मै क्या पाऊंगा? ...
आज के समय में कोई जो आम आदमी भी बन सके तो बहुत है ... अच्छा लिखा है ...