गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

सब कुछ तो है.....(कुंवर जी)

सब कुछ तो है,
थोड़ी सी खुशिया,थोडा सुकून;
और थोडा सा चैन ही तो नहीं है!
और हाँ आस भी तो है!

सब कुछ तो है,
छोटी सी ज़िन्दगी,पाषाण सा तन,
और ये शिला सा स्थिर मन सब यही है!
और हाँ रुकी-रुकी सी सांस भी तो है!
देखा;सब कुछ तो है,





जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुंवर जी,

13 टिप्‍पणियां:

  1. sameer ji raam raam!
    aapka swaagat hai ji....padhaarne ke liye aabhaar...

    kunwar ji,

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  2. mai sochatee thee sukun aur chain paryayvachee hai......
    acchee abhivykti.......

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  3. सुकून और चैन ..पर्यायवाची ही हैं अपनत्व जी ,

    अच्छी अभिव्यक्ति

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  4. भाई कुंवर जी राम राम
    घणेए दिना पाच्छै आए।
    सुंदर कविता के लिए आभार

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  5. छोटी सी ज़िन्दगी,पाषाण सा तन,
    और ये शिला सा स्थिर मन सब यही है!

    बहुत बढ़िया!
    सुंदर अभिव्यक्ति के लिए आभार!!

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  6. ऐसा कमाल का लिखा है आपने कि पढ़ते समय एक बार भी ले बाधित नहीं हुआ और भाव तो सीधे मन तक पहुँच गए..

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  7. @संजय भास्कर जी-आपका आगमन मन को दोगुने जोश से भर देता है....ऐसे ही मुस्कुताते रहिएगा....

    @चौरसिया जी-आपका स्वागत है जी.धन्यवाद!

    @zeal जी-पंक्तिया आपको सुन्दर लगी ये मेरा सौभाग्य है जी!

    कुंवर जी,

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  8. @अमित भाई साहब-स्वागत है जी!

    @ललित जी- राम राम जी रामराम!घणे दिन पाच्छै ही सही,आ तो गए...अर ना आवै तो.....मतलब थार प्यार ना होवे तो शायद ना ही आया ज्या था!

    कुंवर जी,

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  9. @अपनत्व जी,@संगीता जी-आपका स्वागत है जी,आप दप बिलकुल सही कह रागे हो जी,बस मुझे ही ख्याल नहीं रहा था,क्या करे जो "ये" पास ना हो तो सही ख्याल आते ही नहीं!

    कुंवर जी,

    जवाब देंहटाएं

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