सब कुछ तो है,
थोड़ी सी खुशिया,थोडा सुकून;
और थोडा सा चैन ही तो नहीं है!
और हाँ आस भी तो है!
सब कुछ तो है,
छोटी सी ज़िन्दगी,पाषाण सा तन,
और ये शिला सा स्थिर मन सब यही है!
और हाँ रुकी-रुकी सी सांस भी तो है!
देखा;सब कुछ तो है,
जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुंवर जी,
sameer ji raam raam!
जवाब देंहटाएंaapka swaagat hai ji....padhaarne ke liye aabhaar...
kunwar ji,
mai sochatee thee sukun aur chain paryayvachee hai......
जवाब देंहटाएंacchee abhivykti.......
सुकून और चैन ..पर्यायवाची ही हैं अपनत्व जी ,
जवाब देंहटाएंअच्छी अभिव्यक्ति
भाई कुंवर जी राम राम
जवाब देंहटाएंघणेए दिना पाच्छै आए।
सुंदर कविता के लिए आभार
छोटी सी ज़िन्दगी,पाषाण सा तन,
जवाब देंहटाएंऔर ये शिला सा स्थिर मन सब यही है!
बहुत बढ़िया!
सुंदर अभिव्यक्ति के लिए आभार!!
sundar kavitaa !
जवाब देंहटाएंbahut sundar panktiyan
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव युक्त कविता
जवाब देंहटाएंऐसा कमाल का लिखा है आपने कि पढ़ते समय एक बार भी ले बाधित नहीं हुआ और भाव तो सीधे मन तक पहुँच गए..
जवाब देंहटाएं@संजय भास्कर जी-आपका आगमन मन को दोगुने जोश से भर देता है....ऐसे ही मुस्कुताते रहिएगा....
जवाब देंहटाएं@चौरसिया जी-आपका स्वागत है जी.धन्यवाद!
@zeal जी-पंक्तिया आपको सुन्दर लगी ये मेरा सौभाग्य है जी!
कुंवर जी,
@अमित भाई साहब-स्वागत है जी!
जवाब देंहटाएं@ललित जी- राम राम जी रामराम!घणे दिन पाच्छै ही सही,आ तो गए...अर ना आवै तो.....मतलब थार प्यार ना होवे तो शायद ना ही आया ज्या था!
कुंवर जी,
@अपनत्व जी,@संगीता जी-आपका स्वागत है जी,आप दप बिलकुल सही कह रागे हो जी,बस मुझे ही ख्याल नहीं रहा था,क्या करे जो "ये" पास ना हो तो सही ख्याल आते ही नहीं!
जवाब देंहटाएंकुंवर जी,
Bahut achhi rchna ....
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