रविवार, 22 जनवरी 2012

गुडगाँव में पूज्यनीय श्री मोरारी बापू जी रुपी मेघ श्री रामचंद्र जी की कृपा बरसा रहे है..... बोलो सियापति रामचंद्र की जय...

राम राम जी,

श्री गुरुचरण सरोज रज,निज मन मुकुर सुधारी!
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु जो दायक फल चारी!!
बुद्धि हीन तनु जान के सिमरौ पवनकुमार!
बल बुद्धि विद्या देहू मोही हरहु क्लेश-विकार!!


आज दूसरा दिन है यहाँ परम पूज्य मुरारी बापू जी के सानिध्य में रामचरितमानस कथा के सुनने का!और देखिये वो कहते है की केवल सुनना मत......द्रष्टा बनना!है न कमाल.....सुनने के लिए जो है उसका द्रष्टा बनने को कहते है और भावो में भिगो देते है श्रोता को....मैंने ऐसा अनुभव किया दो दिनों में वहां!


गुडगाँव  में पूज्यनीय  श्री मोरारी बापू जी रुपी मेघ श्री रामचंद्र जी की कृपा  बरसा रहे है..... हम जैसे तुच्छ और नालायको को बिना कोई श्रम-साधना के ही ऐसा अतुल्य अवसर मिल गया है......ये विचार कर ही आश्चर्य होता है और जब उनके दर्शन साक्षात हुए तो...... क्या कहे.....
  मै सागर तो नहीं था पर लहरें तो थी तन में..
मै मोम भी तो नहीं था पर पिघल रहा था जैसे....


वैसे तो इनका नौ दिन का कार्यक्रम है यहाँ....कहते है श्रीरामचरितमानस का पाठ नौ दिन ही चलता है......पर मुझ जैसे अयोग्य को नौ में से दो दिन भी वहाँ उपस्थित होने का सौभाग्य मिला....ये क्या कम है.....! ये एकदम से ऐसे हो गया जैसे के कुआं प्यासे के पास चला आया हो.....सच में कलयुग है!

कल से पुनः नौकरी...... मन से नहीं तो क्या हुआ.... तन से तो नौकरी करनी ही है..... तो कल से कथा नहीं नौकरी...२६ को अवकाश है.....मौका मिला तो तब.....

पवनतनय संकट हरण मंगल मूर्ती रूप!
राम लखन सीता सहित हृदय बसों सुरभूप!!
बोलो
सियापति रामचंद्र की जय...
उमापति महादेव की जय...
पवनपुत्र हनुमान की जय...

जय हिंद,जय श्रीराम,
कुंवर जी,

14 टिप्‍पणियां:

  1. @स्मार्ट इंडियन जी- जय श्री राम!
    आज पूज्य श्री बता रहे थे कि धाम शिव का श्रेष्ठ,लीला गुरुओ की...
    रूप में श्री कृष्ण पर नाम.... वो श्री राम ही का बस...
    कुँवर जी,

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  2. सिया राममय सब जग जानी।

    भाई टेम्पलेट तो जरा ठीक कर लो।

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  3. जय हो ... जय श्री राम ... आप कथा का आनंद लें ... ऐसे मोके जीवन में कई तप करने के बाद आते हैं ...

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  4. खुशनसीब हैं वो जिनको ऐसे मौके मिलते हैं.


    सियापति रामचंद्र की जय...
    उमापति महादेव की जय...
    पवनपुत्र हनुमान की जय...

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  5. जय श्री राम!
    उस करुणानिधान की करुणा कण-कण पर बरसे....

    कुँवर जी,

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  6.  बोलो सियापति रामचंद्र की जय...

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  7.  बोलो सियापति रामचंद्र की जय...

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  8.  बोलो सियापति रामचंद्र की जय...

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  9. श्री गुरुचरण सरोज रज,निज मन मुकुर सुधारी!
    बरनऊँ रघुवर बिमल जसु जो दायक फल चारी!!
    बुद्धि हीन तनु जान के सिमरौ पवनकुमार!
    बल बुद्धि विद्या देहू मोही हरहु क्लेश-विकार!!

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