गुरुवार, 5 जनवरी 2012

इक उम्मीद थी......(कुँवर जी)

इक उम्मीद थी कि 
धुन्ध छटेगी  तो 
सूरज निकल ही जाएगा...
क्या पता था कि 
मेघ भी 
पहरा लगाए बैठे होंगे!



जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी,

3 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! क्या बात है! बहुत खूब!

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  2. क्या पता था कि
    मेघ भी
    पहरा लगाए बैठे होंगे!
    हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।

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  3. बहुत खूब ... दुःख आते हैं तो एक साथ ही आते हैं ...
    आपको नव वर्ष मंगल मय हो ...

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