पिछले कुछ दिन या पिछला एक-दो महीना ब्लॉग से दूर सा ही रहा,कल तक तो इतना अफ़सोस नहीं हो रहा था पर कल रोहतक में जब मै अपने परिवार से पहली बार रूबरू हुआ तो लगा जैसे ये समय कैसे बर्बाद कर दिया मैंने....
लगा जैसे लड़की अपने ससुराल से मैके में आई हो पता नहीं कितने दिनों के बाद....
लेकिन वहा जाने से मन कि उत्कंठा को तो बल मिल गया पर समय का सहारा उन्हें अब भी नहीं मिल पा रहा है!उसी के अभाव में आज बस ये पंक्तियाँ ही आपके लिए....और चेष्टा रहेगी कि निरन्तर अपने परिवार का प्यार मै पाता रहूँ...
अपने जीवन के सारे रंग
उड़ेल दिए मैंने शब्दों के चित्र बनाने में...
अब आंसुओ में कोई रंग आता ही नहीं!
जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुंवर जी,
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंस्वागत है आपका आपके ही परिवार नें.....
जवाब देंहटाएंजितनी उमंग लडकी को मैके आने की होती है, उतना ही उल्हास मैके वालो को भी होता है।
जवाब देंहटाएंस्वागत है।
sunder abhivykti........
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन अश`आर के साथ पुन: आगमन पर आपका हार्दिक स्वागत है.
जवाब देंहटाएंबहुत सही ..बहुत खूब ..अविस्मरणीय रहा यह ब्लॉगर मिलन..शुक्रिया
जवाब देंहटाएंआपको दुबारा देख कर अच्छा लगा ... कुछ ही लाइनों में दिल का हाल कह दिया है आपने ... लाजवाब ....
जवाब देंहटाएंaap sab ke is amulya sahyog ke liye dhanyawaad hai ji.....
जवाब देंहटाएंkunwar ji,
हमें भी आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंआगे भी मिलते रहेंगें
प्रणाम
क्या बात !
जवाब देंहटाएंअपने जीवन के सारे रंग
जवाब देंहटाएंउड़ेल दिए मैंने शब्दों के चित्र बनाने में...
अब आंसुओ में कोई रंग आता ही नहीं!
बडी गहरी बात कह दी।