पता है,
खुशियाँ लौट आती है,
हमें थोडा सा तडपाती है,
थोडा तरसाती है,
पर हमारे बिना रह भी तो नहीं पाती है!
तो वापस लौट आती है!
फितरत नहीं है ना उनकी कहीं रुक जाना एक जगह ,
हर किसी से मिलने की खातिर,
वो हमसे दूर चली जाती है!
पर वो रूठती थोड़े ही है हमसे,
थोड़ी अपनी याद दिलाती है,
थोडा सा हमारा मज़ाक उडाती है,
और
हम पर हंसती हुई फिर लौट आती है!
ज़िन्दगी जो रास्ता है तो मोड़ तो आयेंगे ही,
जो खेल तो जीत-हार सही,खुशियाँ भी हमें चलाती है!
थोड़ी सी खेलती हमारे साथ,
कभी जिताती कभी हराती है,
हर मोड़ के पार बुलाती है.
थोड़ी देर में ही सही
पर खुशियाँ लौट आती है!
जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुंवर जी,
सुन्दर पंक्तियां
जवाब देंहटाएंहार या दुखों के डर से उदास होकर बैठना नहीं है हमेशा आगे बढने को प्रेरित करती हुई
प्रणाम
khoobsurat panktiyan
जवाब देंहटाएं@ ज़िन्दगी जो रास्ता है तो मोड़ तो आयेंगे ही,
जवाब देंहटाएंजो खेल तो जीत-हार सही,खुशियाँ भी हमें चलाती है!
# बहुत खूब कुंवरजी !
bahut saral sabdo may sundar rachna.....
जवाब देंहटाएंबढ़िया आशावादी कविता
जवाब देंहटाएंआशाओं के दीप प्रज्वलित करती जीवंत पंक्तियां
जवाब देंहटाएं..........बहुत खूब कुंवरजी !
जवाब देंहटाएंis baar aayen to ghar me hi band ke rakh liyo........
जवाब देंहटाएं