बुधवार, 24 नवंबर 2010

खुशियाँ लौट आती है,.....(कुंवर जी)

पता है,
खुशियाँ लौट आती है,
हमें थोडा सा तडपाती है,
थोडा तरसाती है,
पर हमारे बिना रह भी तो नहीं पाती है!
तो वापस लौट आती है!

फितरत नहीं है ना उनकी कहीं रुक जाना एक जगह ,
हर किसी से मिलने की  खातिर,
वो हमसे दूर चली जाती है!
पर वो रूठती थोड़े ही है हमसे,
थोड़ी अपनी याद दिलाती है,
थोडा सा हमारा मज़ाक उडाती है,
और
हम पर हंसती हुई फिर लौट आती है!

ज़िन्दगी जो रास्ता है तो मोड़ तो आयेंगे ही,
जो खेल तो जीत-हार सही,खुशियाँ भी हमें चलाती है!
थोड़ी सी खेलती हमारे साथ,
कभी जिताती कभी हराती है,
हर मोड़ के पार बुलाती है.
थोड़ी देर में ही सही
पर खुशियाँ लौट आती है!


जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुंवर जी,


8 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर पंक्तियां
    हार या दुखों के डर से उदास होकर बैठना नहीं है हमेशा आगे बढने को प्रेरित करती हुई

    प्रणाम

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  2. @ ज़िन्दगी जो रास्ता है तो मोड़ तो आयेंगे ही,
    जो खेल तो जीत-हार सही,खुशियाँ भी हमें चलाती है!

    # बहुत खूब कुंवरजी !

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  3. आशाओं के दीप प्रज्वलित करती जीवंत पंक्तियां

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