हम जो भी कर रहे है है या कर चुके है अथवा तो करने वाले है,सबका परिणाम तभी...करते ही पाना चाहते है!कई बार तो उसके गलत परिणाम की आशंका से उसके फल को ही नहीं चाहते!और तब प्रसन्न भी तो होते है जब उसका परिणाम हमें मिलता दिखाई नहीं देता!कई बार कुछ अच्छा परिणाम पाने हेतु जो कर्म हम करते है और जब वैसा ही परिणाम हमें हमारी आवश्यकतानुसार नहीं मिलता तो दुखी भी होते है!
पर कौन जाने कि कोन सा कर्म हम फल पाने के लिए कर रहे है अथवा ये कर्म पिछले किसी कर्म का फल है???अब पिछला कितना...ये भी प्रशन!इसी जन्म का या पिछले किसी और जन्म का..??और फिर कहते है कि हम कुछ कर ही नहीं सकते,सब वो"
अब मै जहा उलझता हूँ वो ये बात है कि यदि उपरोक्त बाते सत्य है तो..... हम कर क्या रहे है?
एक कर्म हमारा पूरा जन्म बिगाड़ देता है और उसका फल न जाने कितने जन्म.......????
पर कौन जाने कि कोन सा कर्म हम फल पाने के लिए कर रहे है अथवा ये कर्म पिछले किसी कर्म का फल है???अब पिछला कितना...ये भी प्रशन!इसी जन्म का या पिछले किसी और जन्म का..??और फिर कहते है कि हम कुछ कर ही नहीं सकते,सब वो"
अब मै जहा उलझता हूँ वो ये बात है कि यदि उपरोक्त बाते सत्य है तो..... हम कर क्या रहे है?
एक कर्म हमारा पूरा जन्म बिगाड़ देता है और उसका फल न जाने कितने जन्म.......????
सही है , सीढ़ियाँ चढ़ते एक फिसलन कहाँ से कहाँ पहुँचा देती है!
जवाब देंहटाएंकर्मफ़ल वाली थ्योरी से अपन तो पूरा इत्तेफ़ाक रखते हैं। हर कर्म का परिणाम होता है, ये जरूरी नहीं कि हाथोंहाथ मिलेगा लेकिन मिलेगा जरूर। और कुछ न भी हो तो कम से कम ये थ्योरी अच्छे काम करने के लिये प्रेरित तो करती है। ये अलग बात है कि अच्छाई का मापदंड सबके लिये अलग होता है।
जवाब देंहटाएंयही समझ आ जाये तो दशा और दिशा दोनों ही बदल जायें!
जवाब देंहटाएंthoda aur sochna hoga abhi.
जवाब देंहटाएंबोल्डनेस छोड़िए हो जाइए कूल...खुशदीप के सन्दर्भ में
ख़ुशदीप सहगल किसी ब्लॉग पर अपनी मां का काल्पनिक नंगा फ़ोटो देखें तो उन्हें दुख होगा इसमें ज़रा भी शक नहीं है लेकिन उनकी मां का नंगा फ़ोटो ब्लॉग पर लगा हुआ है और उन्हें दुख का कोई अहसास ही नहीं है।
...और यह फ़ोटो उनके ही ब्लॉग पर है और ख़ुद उन्होंने ही लगाया है।
उन्होंने चुटकुलों भरी एक पोस्ट तैयार की। जिसका शीर्षक है ‘बोल्डनेस छोड़िए और हो जाइये कूल‘
इस पोस्ट का पहला चुटकुला ही हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और अम्मा हव्वा अलैहिस्सलाम पर है। इस लिहाज़ से उन्होंने एक फ़ोटो भी उनका ही लगा दिया है। फ़ोटो में उन्हें नंगा दिखाया गया है।
दुनिया की तीन बड़ी क़ौमें यहूदी, ईसाई और मुसलमान आदम और हव्वा को मानव जाति का आदि पिता और आदि माता मानते हैं और उन्हें सम्मान देते हैं। ये तीनों मिलकर आधी दुनिया की आबादी के बराबर हैं। अरबों लोग जिनका सम्मान करते हैं, उनके नंगे फ़ोटो लगाकर ब्लॉग पर हा हा ही ही की जा रही है।
यह कैसी बेहिसी है भाई साहब ?
आदम हव्वा का फ़ोटो इसलिए लगा दिया कि ये हमारे कुछ थोड़े ही लगते हैं, ये अब्राहमिक रिलीजन वालों के मां बाप लगते हैं।
अरे भाई ! आप किस की संतान हो ?
कहेंगे कि हम तो मनु की संतान हैं।
और पूछा जाए कि मनु कौन हैं, तो ...?
कुछ पता नहीं है कि मनु कौन हैं !
अथर्ववेद 11,8 बताता है कि मनु कौन हैं ?
इस सूक्त के रचनाकार ऋषि कोरूपथिः हैं -
यन्मन्युर्जायामावहत संकल्पस्य गृहादधिन।
क आसं जन्याः क वराः क उ ज्येष्ठवरोऽभवत्। 1 ।
तप चैवास्तां कर्भ चतर्महत्यर्णवे।
त आसं जन्यास्ते वरा ब्रह्म ज्येष्ठवरोऽभवत् । 2 ।
अर्थात मन्यु ने जाया को संकल्प के घर से विवाहा। उससे पहले सृष्टि न होने से वर पक्ष कौन हुआ और कन्या पक्ष कौन हुआ ? कन्या के चरण कराने वाले बराती कौन थे और उद्वाहक कौन था ? ।1। तप और कर्म ही वर पक्ष और कन्या पक्ष वाले थे, यही बराती थे और उद्वाहक स्वयं ब्रह्म था।2।
यहां स्वयंभू मनु के विवाह को सृष्टि का सबसे पहला विवाह बताया गया है और उनकी पत्नी को जाया और आद्या कहा गया है। ‘आद्या‘ का अर्थ ही पहली होता है और ‘आद्य‘ का अर्थ होता है पहला। ‘आद्य‘ धातु से ही ‘आदिम्‘ शब्द बना जो कि अरबी और हिब्रू भाषा में जाकर ‘आदम‘ हो गया।
स्वयंभू मनु का ही एक नाम आदम है। अब यह बिल्कुल स्पष्ट है। अब इसमें किसी को कोई शक न होना चाहिए कि मनु और जाया को ही आदम और हव्वा कहा जाता है और सारी मानव जाति के माता पिता यही हैं।
ख़ुशदीप सहगल के माता पिता भी यही हैं।
अपने मां बाप के नंगे फ़ोटो ब्लॉग पर लगाकर सहगल साहब ख़ुश हो रहे हैं कि देखो मैंने कितनी अच्छी पोस्ट लिखी है।
अपनी मां की नंगी फ़ोटो लगा नहीं सकते और जो उनकी मां की भी मां है और सबकी मां है उसका नंगा फ़ोटो लगाकर बैठ गए हैं और किसी ने उन्हें टोका तक नहीं ?
ये है हिंदी ब्लॉग जगत !
कहते हैं कि हम पढ़े लिखे और सभ्य हैं।
हम इंसान के जज़्बात को आदर देते हैं।
अपने मां बाप आदम और हव्वा अलैहिस्सलाम पर मनघड़न्त चुटकुले बनाना और उनका काल्पनिक व नंगा फ़ोटो लगाना क्या उन सबकी इंसानियत पर ही सवालिया निशान नहीं लगा रहा है जो कि यह सब देख रहे हैं और फिर भी मुस्कुरा रहे हैं ?
सम्पूर्ण मानव जाति की माँ का नंगा चित्र प्रकाशित करना कितना उचित है ?
रात हमने 'ब्लॉग की ख़बरें' पर पोस्ट पब्लिश करने के साथ ही उनकी पोस्ट पर टिप्पणी भी की और इस पोस्ट की सूचना देने के लिए अपना लिंक भी छोड़ा लेकिन उन्होंने गलती को मिटने के बजाय हमारी टिप्पणी ही मिटा डाली.
उनकी गलती दिलबाग जी ने भी दोहरा डाली. उनकी पोस्ट से फोटो लेकर उन्होंने भी चर्चा मंच की पोस्ट (चर्चा - 840 ) में लगा दिया है.
एक टिप्पणी हमने चर्चा मंच की पोस्ट पर भी कर दी है.
यह मुद्दा तो सबके माता पिता की इज्ज़त से जुडा है. सभी को इसपर अपना ऐतराज़ दर्ज कराना चाहिए.
http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/04/manu-means-adam.html
काश!! हम जान पाते...सुलझा पाते यह अबूझ पहेली.
जवाब देंहटाएंइस समझने के फेर में काहे पड़ें .. क्यूँ न बस कर्म करते चलें ... जो पसंद है वो करें ...
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