सब विषयो,
शीर्षकों,
मुद्दों,शब्दों को
इक्कठा कर
जब
कुछ लिखने की सोचता हूँ
तो एक-एक कर के
सब दूर जाते दिखते है....
बस
रह जाता हूँ
खड़ा मै अकेला
और
बात मुझ पर आकर
रुक ही जाती है....
और फिर क्या....
सब मौन....
कहा है साहस खुद को उघाड़ने का....????
कुँवर जी,
शीर्षकों,
मुद्दों,शब्दों को
इक्कठा कर
जब
कुछ लिखने की सोचता हूँ
तो एक-एक कर के
सब दूर जाते दिखते है....
बस
रह जाता हूँ
खड़ा मै अकेला
और
बात मुझ पर आकर
रुक ही जाती है....
और फिर क्या....
सब मौन....
कहा है साहस खुद को उघाड़ने का....????
कुँवर जी,
इन बिषयों . मुद्दों इत्यादि को दबोच कर रखना होगा, लिखने के लिए ! बढ़िया !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिखा है कुंवर जी...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .. खुद को खोदना आसान नहीं होता .. पर उसके बिना मंजिल भी तो नहीं ...
जवाब देंहटाएं