हमारे जीवन में पेड़ो का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है!इनकी अनुपस्थिति में हमारे जीवन की कल्पना करना भी बेहद दुखद है!अपनी कितनी ही जरूरते हम इनसे पूरी करते है!
और कितनी ही यादें हमारी जुडी होती है हमारे आस-पास के पेड़ो से!
लेकिन हमारी अन्य जरूरते इतनी ज्यादा महत्वपूर्ण हमें अब लगने लगी है कि हम उन्हें पूरा करने के लिए कोई भी पेड़,कितना भी पुराना पेड़ कुछ क्षणों में उखाड़ फेंकते है!सब यादें उस पेड़ की,हमारी उस पेड़ से जुडी सब बाते सब फिजूल हो जाती है!
हम ये भी भूल जाते है की ये पेड़ कितना प्राचीन है?
कुछ भी तो हम याद नहीं रख पाते,या रखना नहीं चाहते,जो भी! कई बार ऐसा भी होता है जिसको उस पेड़ को उखाड़ने की जिम्मेवारी मिली होती है उसे उस पेड़ से कोई लेना-देना नहीं होता,कोई भावनात्मक लगाव उसका पेड़ से नहीं होता!उसे तो बस अपना काम करने के पैसे लेने होते है!सो वह तो केवल अपना काम भर करता है,लेकिन असल में एक बहुत पुराना और महत्वपूर्ण पेड़ हम खो चुके होते है!
अभी पिछले दिनों हमारी कम्पनी परिसर में भी ऐसी ही एक दुर्घटना घटी!एक बहुत प्राचीन और विशाल पीपल का पेड़ कटवा दिया गया!हालांकि हिन्दू धर्म की मान्यताओ के हिसाब से यथासंभव उसकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना और ब्रहमहत्या से लगने वाले पाप से बचने के लिए क्षमायाचना भी की गयी!पर ये सब उस पेड़ बचा नहीं सकी!

पिछले दिनों अखबार में एक खबर पढ़ी तो ख़ुशी का ठिकाना न रहा!अरे नहीं..!वो कम्पनी वाला पेड़ दुबारा नहीं उग आया था,वो खबर थी पेड़ को एक जगह से दूसरी जगह लगाने वाली खबर!
जिसे मै असंभव सा सोच रहा था एक हरियाली नामक संस्था उसे पूरी श्रद्धा और समर्पण कर रही है!उनकी ये मुहीम मुझे तो बहुत ही अधिक सरहानीय और एक तरह से मानव जाती पर परमात्मा का आशीर्वाद सा लगी!
मानवता के हित किया जाने वाला ये अद्भुत प्रयास चमत्कार ही तो है!क्या ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहन नहीं मिलने चाहिए! समय और जानकारी के अभाव में मैंने ये एक तुच्छ सा प्रयास किया है यदि उचित लगे तो आप भी यथा संभव प्रयास करे!हो सकता है आपका ये प्रयास किसी की कोई सुनहरी स्मृति,किसी की आस्था,और पृथ्वी और मानवता के लिए एक पेड़ सहेजने का कारण बन जाए.....
जय हिंद,जय श्रीराम,
कुँवर जी,