शनिवार, 30 जुलाई 2022

'तुम' कह रहे हो ......... मै कैसे कहूं...?

 'तुम' कह रहे हो ......... मै कैसे कहूं...?

टपका दो ये आंसूं,
जो आँखों में
अटक गया है!
टपक जाएगा,
पहला तो नहीं टपकेगा!

तुम कह रहे हो
मत पछताओ,
जो हो गया
सो हो गया,
पहली बार तो नहीं हुआ है!

अरे जब
है 'मै' और 'तुम'
तो
'हमारे' और 'तुम्हारे'
तो होंगे ही!
तुमने तो कह दिया!

मै कैसे कहूं...?

कैसे कहूं कि
कल तक 'हमारो' में हमारा था मै!
आज
"हमारो" में "तुम"
हो के आया हूँ,

'अपनों' में 'तुम' हो कर

अब
रोऊँ मै किसके आगे?

उनके आगे
जो हमारे कभी बताये ही नहीं गए,
या फिर
उन अपनों के आगे
जो अपने ही दिखाई नहीं दिए!

"अपनापन" कहीं गिर ना जाए"

'तुम्हारो' की नज़र में
इसीलिए
नहीं टपकता
ये आँखों में अटका आंसू!

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