सोमवार, 17 जून 2013

"जानवर" ......(कुँवर जी)

 एक बहुत  ही आधुनिक लड़के का विवाह कुछ पुरानी विचारधारा और कम अंग्रेजी भाषा-संस्कृति की जानकार लड़की से हो जाता है!
लड़की बहुत सीधी सी थी!पुराने धारावाहिकों में जो पत्नी अपने पति को संबोधित करती वही संबोधन उसे स्मरण में थे,अन्य नहीं!
उसका पति आया और बड़े प्यार से उसे पुकारा!अब लड़का थोडा आधुनिक तो था ही साथ अंग्रेजी भाषा और संस्कृति को दर्शाने वाला भी था!उसने बड़े ही प्यार से अपनी पत्नी को आवाज लगाई... जान!
अब लड़की को "जान" की उम्मीद तो कतई नहीं नहीं थी!वो बेचारी सोचती-विचारती चुप रही!लड़के ने फिर अपना पूरा प्यार उड़ेलते हुए आवाज लगाईं... "जान, तुम बोलती क्यों नहीं!"
लड़की बेचारी असमंजस में.... एक तो घूंघट निकाले हुए थी सो अब ये भी पक्का नहीं कि उसे ही बुलाया जा रहा है अथवा तो किसी और को!
अब लड़के का सब्र भी थोडा उखाड़ता सा प्रतीत हुआ! उसने लड़की का हाथ पकड़ते हुए अपना समस्त प्यार घोलकर फिर कहा.. जान!
अब लड़की ने भी  उतने ही, नहीं उस से भी ज्यादा प्यार सहित उत्तर दिया.... "जानवर"!

(बहुत पहले सुनी हुई एक बात!)

जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी,

6 टिप्‍पणियां:

  1. उसने लड़की का हाथ पकड़ा और "जान" हमारी निकल गयी कि अब क्या होगा?पर अच्छा रहा बात 'जानवर" पर ही आ कर ख़तम हो गयी.खुद ख़ैर करे.सुन्दर

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  2. आप सभी का स्वागत है जी!
    भाषा का अज्ञान व्यवहार में कुछ का कुछ अर्थ निकलवा देता है!दो अलग संस्कृति में भाषा असंतुलन को दर्शाती ये बात मैंने पूज्य मुरारी बापू जी की कथा में सुनी थी!उन्होंने तो जैसे प्रस्तुत की थी मै हक्का-बक्का सा रह गया था "जान-वर" sun kar!
    कुँवर जी,

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