ॐ नमः भगवते वासुदेवाय!
आज निर्जला एकादशी है!संयोग और सौभाग्य से आज ये त्रिस्पर्षा एकादशी भी है,अर्थात आज एकादशी के साथ द्वादशी और त्रयोदशी तिथियों के योग का संयोग है जो कि बहुत कम देखने को मिलता है!
वैसे तो वर्ष कि सभी चौबीस एकादशियो को निराहार रह कर उपवास करना चाहिए लेकिन यदि हम सभी न रख सके तो निर्जला एकादशी का व्रत अवश्य ही रखना चाहिए!महर्षि वेड व्यास जी ने भीमसेन को बताया था कि सभी एकादशियो के बराबर निर्जला एकादशी है! और जब त्रिस्पर्षा एकादशी हो तो ये एक हजार एकादशियो के सामान बताई गयी है!इसे भीमा एकादशी और पांडव एकादशी भी कहते है!
आज के दिन निराहार तो रहना ही होता है संग में पानी भी नहीं पीना होता है!एकादशी का दिन भगवान् विष्णु जी को स्मरण करते हुए बिताना चाहिए!
ॐ नमः भगवते वासुदेवाय!
ॐ नमः भगवते वासुदेवाय!
ॐ नमः भगवते वासुदेवाय!
यही जप मानसिक अथवा वाचिक चलता रहना चाहिए!
आज के दिन कितने ही लोग जगह-जगह प्याऊ लगाते है!राहगीरों को ठंडा और मीठा जल पिलाते है!कुछ ऐसे भी नारायण सेवा-स्मरण करते है!
निर्जला एकादशी के बारे विस्तृत रूप से पढने के लिए आप यहाँ देख सकते है!
जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी,
सार्थक व् उपयोगी जानकारी हेतु आभार . . ये है मर्द की हकीकत आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंNice article.
जवाब देंहटाएंबहुत ही विस्तृत जानकारी ... जिन्हें नहीं पता उनके लिए जानकारी देने का शुक्रिया ...
जवाब देंहटाएंआप सभी का स्वागत है!
जवाब देंहटाएंकुँवर जी,
उपयोगी जानकारी हेतु आभार.......कुँवर जी,
जवाब देंहटाएंAapka swagat hai raj ji
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