मंगलवार, 1 मार्च 2011

अपनों के बीच में आज अर्जुन नहीं दुर्योधन है....(कुंवर जी)




कल जब 
अमित जी की ओजपूर्ण कविता  को पढ़ा तो काफी दिनों के बाद कुछ पंक्तियाँ एक दम दिल से निकल कर आई....




अपनों के बीच में आज अर्जुन नहीं दुर्योधन है,
गीता गायी जाए तो किसके आगे ये भी उलझन है!

जो दिख रहा है उसे देख देख कर
छोटे से मन में बड़ी-बड़ी उधेड़बुन है!

बेशर्मी और बदनामी गौरव का कारण बन रही,
सच्चाई,ईमानदारी,देशभक्ति इनसे कहाँ अब जीवन है!

ठीक गलत के मायने सब बदल गए आज,
खिज़ा को ही बहार मान रहा खुद चमन है!

साधन और सुविधाओं को जुटाने को ही संघर्ष है,
साख और सोच में जैसे हो गयी कोई अनबन है!

जय हिंद,जय श्रीराम,
कुंवर जी,


6 टिप्‍पणियां:

  1. @ साधन और सुविधाओं को जुटाने को ही संघर्ष है,
    इन्ही चीजों ने सुन्दर से जीवन को महाभारत बना के रख दिया है ................. बहुर बढ़िया भावाभिव्यक्ति !

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  2. अमित जीका शुक्रिया जिनके कारण आप ये कविता लिख पाए ....

    यूँ ही लिखते रहे .......

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  3. sach kaha aapne , lekin aaj ke parivesh main arjun ko bhi apna lakshya nahin dikh raha hai,

    sundar rachna

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  4. अपनों के बीच में आज अर्जुन नहीं दुर्योधन है,
    गीता गायी जाए तो किसके आगे ये भी उलझन है ...


    बहुत लाजवाब लिखा है ... सच लिख है ...

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