मौन.....
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जिह्वा तालु को सटी है,
और अंतर में फिर भी शोर है,
क्या वहा मुझ से अलग कोई और है…
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ये कैसा मौन है, ये कौन मौन है…?
जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी
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जिह्वा तालु को सटी है,
और अंतर में फिर भी शोर है,
क्या वहा मुझ से अलग कोई और है…
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ये कैसा मौन है, ये कौन मौन है…?
जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी
बिल्कुल सच कहा ... ।
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है सन्जय भाई।
हटाएंअनजाना मौन ,अनचाहा मौन
जवाब देंहटाएंडॉ. साहब अनचाहा तो नहीं था अनजाना सा ही रहा।
हटाएंआभार।
बहुत भाव पूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में अर्थ भाव जगती
कुंवर जी आभार व् अभिनन्दन ||
श्री जी आपका भी बहुत बहुत अभिनन्दन। उस एक पल की आसमंजस भरे शब्दों में अर्थ खोजने के लिए आभार।
हटाएंआपकी वजह से बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आना हो गया।