गुरुवार, 12 अगस्त 2010

या फिर...

आप सब से जो प्यार मुझे मिल रहा है उसको मै कभी भी स्वयं से दूर नहीं मानता,बस मलाल इस बात का रहता है कि मै आपको यथोचित रूप से  यह सूचित नहीं कर पा  रहा हूँ!एक अघोषित सी जो दूरी बनी हुई है प्रत्यक्ष में वो अप्रत्यक्ष में कहीं भी नहीं है......!इस निरन्तर मिल रहे  आशीर्वाद के लिए आप सभी का आभार है जी.....

आज फिर आप के समक्ष प्रस्तुत है एक  विचारों ऐसी कड़ी जिसे सब कविता कहलवाना पसंद करते है........ 

जो चल दे हम
एक ही राह पर कभी,
साथ-साथ ना साही
आस-पास ही सही!
या फिर...


साथ हो ले हम
चलते-चलते,
थोड़ी देर के लिए ही सही!
या फिर...


साथ हमारा राह की तरह
लम्बा होता चला जाए,
ना कोई मंजिल,
ना कोई मोड़ आये
और चलते रहे हम
साथ-साथ!
आस-पास नहीं'
साथ-साथ!
या फिर...


हम बैठ जाएँ थक कर
और तुम रख लो सर मेरा
अपनी गोदी में,
मेरे कहने पर!
या फिर...


तुम खुद ही कह दो कि
ओढ़ लो जुल्फों को मेरी
धुप से बचने की खातिर!
भले ही हम थके ही ना हो,
तब भी!
मै कहूं और तुम
उंगलियाँ फेरती रहो
बालो में मेरे!
और मै ना उठना चाहूँ,
ना वहा से चलना!
या फिर...


तुम ही कह दो कि
यही तो मंजिल थी हमारी
अब और कहाँ जाएँ!



ये सब सोचने से
फुर्सत मिले तो
शायद...
शायद मै सो भी जाऊं,
और,
ये सब सपने पाऊं!
या फिर...


एक रात और गुजर जायेगी
यूँ ही पलके झपकाते हुए....




जय हिन्द,
जय श्री राम,
कुंवर जी,

8 टिप्‍पणियां:

  1. saath saath naa shi aas paas hi shi bhut khub nzdiki ke ehsaas kaa vrnn bhut pyaar or nfasat se kiyaa he bdhaayi ho. akhtar khan akela kota rajsthan

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  2. kya baat hai, agar aisi kavita ke liye itna lamba antraal chahiye hota hai to, manzoor hai. Permission granted.

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  3. ये सब सोचने से फुर्सत मिले तो शायद...
    शायद मै सो भी जाऊं,और,ये सब सपने पाऊं!

    bahut hi khoob....

    Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

    A Silent Silence : Naani ki sunaai wo kahani..

    Banned Area News : 19 killed in Nigerian building collapse

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  4. Kunwar ji
    कैसे लिख जाते हो यार ऐसा सब..........

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