रविवार, 31 दिसंबर 2017

अब अबोध बालको और उनके कुटिल अभिभावको को साँस खुल कर आ रही है।.... (कुँवर जी)

अभी अभी #25_दिसम्बर बोले तो #क्रिसमस का त्योहार गया है जो हमारे सेक्युलर इण्डिया मे पुरे जोश के साथ मनाया गया था, बाकायदा ऐसी खबरे राष्ट्रिय अखबारो,न्यूज चैनलो पर आईं थी भई, मै अपनी ओर से नही कह रहा हुँ। पटाखे शटाखे खूब चले होन्गे, दिवाली के जैसे बैन थोड़े ही था उन पर तो खूब बोले तो खूब। हर-हर सैंटा घर-घर सैंटा सा हो गया होगा ऐसा सा ही दिखा रहे थे राष्ट्रिय न्यूज चैनल तो।

देश हित मे ऐसी खबरे खैर जरुरी भी है जिस से देश का #सेक्युलरपना बचा रहे #वेटिकन की नजरो मे भी आया रहे छाया रहे। पापी पेट का सवाल है भई हे हे हे हे.... दुकाने भी चलती रहे चलनी भी चाहिये सभी को अधिकार है खुल कर जीने का।यही तो हमारे संविधान की विशेषता है।

खैर आइये आगे बढ़ते है मतलब थोड़ा पीछे हटते है, पापी पेट का ख्याल करने वालो ने पर्यावरण का ख्याल भी किया थोड़े दिन पहले। दिवाली के समय धुँध मे धुआँ खोज निकाला था।फोग को स्मॉग नाम दे दिये थे।बोत ही किरान्तिकारी खोज।पुरे देश मे सँसार मे इसकी भूरी भूरी प्रशंश हुई।#निर्णालय ने भी सहमती दी और प्रकृती को बचाने के लिये कठोर निर्णय लिया और हिन्दुओ के एक त्यौहार #दिवाली जिसे लोग पटाखे आदि चला कर मनाते है पर पटाखो पर #बैन लगा दिया।


चलिये बरत्मान मे आ जाते है।पोस्ट मे जो चित्र है गुरुग्राम से पाँच मिनट पहले के है,मल्लब साढ़े 8 से अधिक का समय हो चला है लेकिन सूर्य देवता का कही अता-पता नही है। धुँध का वर्चस्व है लगता है सूरज जी भी कही धुँध मे धुआँ होने से डर तो नही गये। स्मॉग उनकी रसायनिक प्रक्रिया को बाधित कर सकता है, उनका जीवन खतरे मे आ सकता है।वो क्या है ना उनको भी अपने पर्यावरण की चिन्ता है भई, आखिर खुद जल कर रोशनी कर रहे है।और फिर #सेक्युलर भी तो है,सेक्युलर को तो जलते रहना ही चाहिये हे हे हे हे.....
खैर छोड़िये आइये आगे ही बढ़ते है।

लेकिन लेकिन लेकिन वो धरती के पर्यावरण हितैषी, प्रकृती प्रेमी अभी दिखाई नही दे रहे। इस धुँध मे इनको धुआँ नही दिख रहा है, कोई #प्रदूषण_दिल्ली_एनसीआर मे रहा ही नही या वो केवल दिवाली पर ही होता है? स्मॉग की स्मेल्ल नही आ रही या नाक खराब हो गया है?
कोई मल्लब कोई भी हेलिकॉप्टर से पानी की बारिश करवाने की बात नही कर रहा है।
वो अबोध बालक जो दीवाली से पहले निर्णालय मे खड़े हो गये थे मास्क पहन कर उनको भी खुल कर साँस आ रही है अब। उनके कुटिल अभिभावको को भी।

खैर छोड़िये इस देश मे ऐसा ही चलता रहा है, ऐसे ही चलता रहेगा।क्या हुआ जो सरकार बदल गई, हम तो नही बदले है ना, हमारे पेट तो नही बदले है ना। पेट आज भी पापी ही है हे हे हे हे।

जय हिन्द,जय श्री राम।
कुँवर जी।।

9 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. प्रभात जी आपका बहुत बहुत आभार समर्थन और अमुल्य उत्साहवर्धन के लिये।

      हटाएं
  2. देश मे ऐसा ही चलता रहा है,ऐसे ही चलता रहेगा

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’कुछ पल प्रकृति संग : ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’कुछ पल प्रकृति संग : ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका बहुत बहुत आभार ब्लॉग बुलेटिन मे पोस्ट को स्थान देने के लिये।

      हटाएं
  5. ये ७० सालों की नालायक सरकार के समय में उपजी बारे हैं जिन्हें हम भी ख़ूब ख़ुश हो के स्वीकारते हैं ...
    इसके विरुद्ध आवाज़ उठना पिछड़ेपन की निशानी है आज ... पता नहि देश जागेगा भी या नहीं .. शायद दुर्लभ जीव न बन जाएँ हिंदुस्तानी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय दिगम्बर नासवा जी आपका स्वागत है। आपने बिल्कुल सही कहा। बहुत चिन्तनीय दशा होती जा रही है।

      हटाएं

लिखिए अपनी भाषा में