जो भी कहा वो बस बेमानी था...
कुछ दुविधा,कुछ दुर्भाग्य,
और कुछ आँख का पानी था!
लिखा पड़ा था पहले से ही कहीं,
और लगा कि हमारी ही मनमानी था!
यूँ जीते जी मरना और तड़पना,
क्या इसी का नाम जिंदगानी था!
चाहता हूँ पर कह नहीं पाता हूँ,
और मौन भी तो मौत अनजानी था!
क्या तुम्हे भी आप-बीती सी लगी,
जो कुछ भी ये मेरी जुबानी था!
जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुंवर जी,
बहुत बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना ,बधाई
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना...!!
जवाब देंहटाएं"यूँ जीते जी मरना और तड़पना,
जवाब देंहटाएंक्या इसी का नाम जिंदगानी था!"
........... एक दर्शन आपने व्यक्त किया.
"नहीं तुमको जीने की चाह
हमें ना मरने की परवाह
देखते हैं सच्चा आनंद
कौन पायेगा उर की थाह."
........... एक दर्शन यह भी है.
वियोग का दोनों ने स्वाद चखा है. लेकिन दर्शन भिन्न-भिन्न.
आज बस इतना ही- क्या बात है!!!
जवाब देंहटाएंवाह ... सुभान अल्ला ..... बहुत लाजवाब ग़ज़ल बन पड़ी है .... कमाल की ज़ज़्बात पिरोए हैं ... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंवाह्! बहुत खूब! बेहतरीन रचना.....
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंइस बार तो कहर उठा दिया हरदीप , धांसू कविता !!!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंदो पंक्तिया आगे जोड़ लेना शायद अच्छी लगे
चेहरे कि मुस्कान में छिपी आंसुओ की कहानी था
बुढ़ापा आने से पहले झुर्राया वो किस्सा जवानी था
कुछ रेत कुछ पानी था कुछ दरिया सी जिंदगानी था
कुछ "कुंवर " खुद तबाह हुआ कुछ तेरी मेहरबानी था
वाह्! बहुत खूब! बेहतरीन रचना.....
जवाब देंहटाएंबहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
जवाब देंहटाएंयूँ जीते जी मरना और तड़पना,
जवाब देंहटाएंक्या इसी का नाम जिंदगानी था!
बहुत ही पसंद आई आपकी ये रचना कुँवर जी..
यूँ जीते जी मरना और तड़पना,
जवाब देंहटाएंक्या इसी का नाम जिंदगानी था!
बहुत ही पसंद आई, अच्छी लगी आपकी ये रचना
किस किस बात कि दाद दूँ हर बात दूसरे से भी बढ़ कर
जो भी सहा वो सब रूहानी था....
जवाब देंहटाएंजो भी कहा वो बस बेमानी था...
बहुत बेहतरीन, बहुत खूब कुंवर जी!
bahut hi sundar avamek behatreen post.
जवाब देंहटाएंpoonam
कमाल की ज़ज़्बात पिरोए हैं ... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंवैसे इतना तो तय है कि आपने जो भी कहा दिल से कहा।
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पॉल बाबा की जादुई शक्ति के राज़।
सावधान, आपकी प्रोफाइल आपके कमेंट्स खा रही है।
क्या तुम्हे भी आप-बीती सी लगी,
जवाब देंहटाएंजो कुछ भी ये मेरी जुबानी था!
जी बिलकुल लगी ......आपबीती ......और अच्छी भी ....!!
wow...bauaht pasand aayi...
जवाब देंहटाएंयूँ जीते जी मरना और तड़पना,
जवाब देंहटाएंक्या इसी का नाम जिंदगानी था!
आपकी रचना अच्छी लगी.....
आपकी जुबानी यह अच्छा लगा ।
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