बुधवार, 26 मई 2010

शायद इसलिए है सारे मौन...(कविता),

पहले तो मौन और फिर  पण्डित जी     को पढ़ा तो मन जो विचार उठे वो ही आज आपके समक्ष है.....

सब खुद से ही बोल रहे है,
अपमे मन को टटोल रहे है.....
अन्दर ही अन्दर खुद को तोल रहे है,
लगा अपनी आत्मा का मोल रहे है,
ऐसे में भला ओरो से बोले कौन....
शायद इसलिए है सारे मौन...


सभा सारी आपस में नजरे चुराए,
तिनका दाढ़ी में जान सब दाढ़ी खुजाये,
हमाम में सब नंगे पर्दा कौन हटाये,
इन्सानियत शायद जिन्दा है सो सब शर्माए,
धरती तो फट जाए पर समाये कौन,
शायद इसीलिए है सारे मौन...

जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुंवर जी,

17 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी रचनाओं में एक अलग अंदाज है,

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  2. वाह. कमाल का मंथन.
    धरती तो फट जाए पर समाये कौन,
    शायद इसीलिए है सारे मौन...
    बहुत सुन्दर. बधाई

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  3. मंथन-मंथन-मंथन पर है कमाल का

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  4. सुन्दर ! भविष्य में भी संवाद होता रहेगा!

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  5. अन्दर ही अन्दर खुद को तोल रहे है,
    लगा अपनी आत्मा का मोल रहे है,
    ऐसे में भला ओरो से बोले कौन....
    शायद इसलिए है सारे मौन...


    badhiyaa kunvar ji

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  6. @माधव जी,@कुलदीप जी @संजय गोस्वामी जी-आपका स्वागत है जी,@संजय भाई साहब-आपका धन्यवाद है जी,

    @ वंदना जी,@सुनील जी-ये मंथन ही तो कुछ करने नहीं देता और बहुत कुछ करवा भी देता है...आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद है जी..

    @गोदियाल जी-आपके कहने से वो लोक मैंने हटा दिया है जी...

    कुंवर जी,

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  7. तिनका दाढ़ी में जान सब दाढ़ी खुजाये,
    हमाम में सब नंगे पर्दा कौन हटाये,

    bahut khoob kunwarji !!!!

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  8. @अमित भाई साहब-अभी थोडा अच्छा लग रहा है....

    कुंवर जी,

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  9. आपकी रचनाओं में एक अलग अंदाज है.......

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  10. सुन्दर ,,,,और विचारणीय

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  11. ैक्या आप जानते है.
    कौन सा ऐसा ब्लागर है जो इन दिनों हर ब्लाग पर जाकर बिन मांगी सलाह बांटने का काम कर रहा है।
    नहीं जानते न... चलिए मैं थोड़ा क्लू देता हूं. यह ब्लागर हार्लिक्स पीकर होनस्टी तरीके से ही प्रोजक्ट बनाऊंगा बोलता है। हमें यह करना चाहिए.. हमें यह नहीं करना चाहिए.. हम समाज को आगे कैसे ले जाएं.. आप लोगों का प्रयास सार्थक है.. आपकी सोच सकारात्मक है.. क्या आपको नहीं लगता है कि आप लोग ब्लागिंग करने नहीं बल्कि प्रवचन सुनने के लिए ही इस दुनिया में आएं है. ज्यादा नहीं लिखूंगा.. नहीं तो आप लोग बोलोगे कि जलजला पानी का बुलबुला है. पिलपिला है. लाल टी शर्ट है.. काली कार है.. जलजला सामने आओ.. हम लोग शरीफ लोग है जो लोग बगैर नाम के हमसे बात करते हैं हम उनका जवाब नहीं देते. अरे जलजला तो सामने आ ही जाएगा पहले आप लोग अपने भीतर बैठे हुए जलजले से तो मुक्ति पा लो भाइयों....
    बुरा मानकर पोस्ट मत लिखने लग जाना. क्या है कि आजकल हर दूसरी पोस्ट में जलजला का जिक्र जरूर रहता है. जरा सोचिए आप लोगों ने जलजला पर कितना वक्त जाया किया है.

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  12. बहुत खूब !
    आप ने इतनी जल्दी ही पोस्ट से प्रेरित हो कर कविता लिख दी!
    ये कहीं तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी तो नहीं??

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