अब शायद भारत जाग जाए!
जब चाहते है सब ऐसा,
हो भारत वही पहले जैसा,
वो फिर विश्वविजय के राग गाये!
तो अब शायद भारत जाग जाये!
मै,तुम,वो;हम सब क्यों न एक हो?
सर्वहित क्यों न चाहे,क्यों इरादे न हमारे नेक हो,
भला क्यों न ये दुर्भाग्य भाग जाए!
फिर तो शायद भारत जाग जाये!
फिर तो शायद भारत जाग जाये!
बलिवेदी पर असंख्य बेटे बलिदान हुए,
कितनी मांगे उजड़ी कितने आँचल लहुलुहान हुए,
धुल अब अतीत के सारे दाग जाए!
शायद अब भारत जाग जाये!
बस लिखो ही नहीं झकजोर दो सबको,
राह प्रेम की कोई और दो सबको,
अब तो कुचला नफरत का ये नाग जाये!
अब शायद भारत जाग जाये!
रोना ही किस्मत नहीं तुम्हारी कब तुम जनोंगे,
आँखे खोलो नहीं तो मर कर भी क्या जागोंगे!
जो ये आंसू तुम्हारे जन-जन में बन आग जाये,
तो शायद भारत जाग जाये!
जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी,
तो शायद भारत जाग जाये!
जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुँवर जी,