हमें अपने अनुभवों का लाभ सभी को देना चाहिए!ऐसा मेरा मानना है!ऐसी ही एक घटना मै आपको सुनाने जा रहा हूँ,शायद उसके बाद आपका भी ऐसा ही मानना हो जाए!
हुआ यूँ कि हम और राणा जी,किसी पार्टी में शिरकत करने पहुँच गए!अब ये बताने का कोई औचित्य नहीं लग रहा कि हम आमंत्रित भी थे या नहीं!भई दोस्त की हर चीज हमारी,फिर न्योता क्यों नहीं?
आपको ऐतराज हो तो बताओ.....!
हाँ तो वो दोस्त कुछ बी पी एल वाली लाइन से बहुत ऊपर का था,उसकी पार्टी भी वैसी ही होनी थी!
हम थे गाँव के गंवार,पत्तलों पर नीचे बैठ कर खाने वाले!वैसी सी पार्टी का पहला अनुभव जी हम दोनों का!तो लगभग साथ-साथ विचर रहे थे हम दोनों,चरने के लिए!
पर शायद कोई ख़ास समय निश्चित नहीं था उसके लिए!कुछ तो जाते ही जुट रहे थे और कुछ ना जाने क्या तलाश रहे थे!
इस बीच हम दोनों थोड़ी देर के लिए अलग-अलग भी हो गए थे!
एक भाई साहब प्लेट में ना जाने क्या लिए जा रहा था!बस समीप आकर धीरे से बोला "जल जी"!
हमने हाथ बढ़ाया ही था कि उधर से राणा जी की आवाज आई,"कुंवर जी,रहने दो;कोरा पानी है वो,मै भी धोखा खा गया था!"
हमने धन्यवाद कहा जी मन ही मन में राणा जी का!बोल देता तो खामख्वाह ही सर पर चढ़ जाते,सो मन ही ,मन में कह दिया था!
हम अभी भी विचार ही रहे थे,राणा जी ने कहा शुरुआत कर ही डालते है!हम तो इन्तजार ही इसी बात का कर रहे थे,और आँखों ही आँखों में इशारा कर दिया जी!
राणा जी ने प्लेट उठायी जी,उस में कुछ सफ़ेद-सफ़ेद मुलायम-मुलायम सा कुछ था!हाथ लगाते ही बड़ा अच्छा लग रहा था!राणा जी ने सोचा कुछ नया सौदा है खाने का!हमने भी देख लिया!जैसे ही उन्होंने उसे उठा कर मुह की और बढ़ाया,हमने टोका!
अब बारी हमारी थी!राणा जी के एहसान उतारने की भी और अपने अनुभव का लाभ राणा जी को देने की भी!
हमने राणा जी को लगभग समझाया,"रहने दो राणा जी,मै देख चुका हूँ!बिलकुल फीका है,कोई सब्जी भी ले लेते है साथ में!"
पास में एक जनाब हमें बड़े गौर से देख रहे थे!उन्होंने हमारी मानसिक और सामाजिक हालत को समझते हुए हमें एक और ले जाकर समझाया,वो बोले."ये खाने की चीज नहीं,टिस्यू पेपर है!पोंछने के काम आता है"
हमने उन्हें अपना अनुभव हमें बताने का धन्यवाद तो किया ही किया,साथ में अनुभव रूपी ज्ञान को बांटना भी सीखा!
आपने कुछ सीखा!
जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुंवर जी,
सच कहें तो हमें .... की तरह पंक्ति में खड़े होकर अपनी वारी का इंतजार करना बो भी खाने के लिए बहुत बुरा लगता है अक्कसर विना खाये आते हैं हम ऐसी पार्टियों से और जमीन पर बैठकर दूसरे द्वारा प्यार से परोसा गया खाना बहुत अच्छा लगता है
जवाब देंहटाएंha ha ha badiya.apke anubhav beshkimti hain.
जवाब देंहटाएंधांसू पोस्ट .maja aa gaya hardeep .
जवाब देंहटाएंमेरे बचपन की याद दिला दी जब ऐसे कुछ वाकये घटे थे . पर सच में हम देसी लोगो के साथ ऐसा ही होता हैं . अपने साथ घटे इन्ही अनुभवों पर अभी पोस्ट लिख दी .
महाशय अब बताने का कष्ट करेंगे की ये राणा जी कौन से वाले थे
जवाब देंहटाएंरोचक अनुभव.
जवाब देंहटाएंरोचक पोस्ट है।
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