Kunwarji's
मंगलवार, 21 जनवरी 2014
धोखा उसकी रगो में बहता है क्या करे....
धोखा उसकी रगो में बहता है क्या करे,
वो करता है फिर सहता है क्या करे!
मशगूल है उसकी आदतो में बाँध तोड़ना,
औरो के चक्कर में फिर खुद बहता है क्या करे!
जय हिन्द,
जय श्रीराम!
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