कितने बेशर्म है सब,
पागलो की तरह देखते ही जाते है,
कुछ तो कुटिल तरीके से मुस्कुरा भी रहे है,
जैसे जाहिल हो,
अरे उनको देखने के लिए
मेरी बहन ही मिली है क्या आज,
और भी तो बहुत सी लडकिया है बाज़ार में,
और ये मै क्यूँ गलती महसूस कर रहा हूँ,
आज तो मै किसी और लड़की को भी नहीं देख रहा,
ना नजरो ही नजरो में बहुत कुछ करना चाह रहा हूँ,
रोज की तरह,
उफ़!मेरी आज मेरे बहन साथ है तो क्या,
मुझे वो सब गलत लग रहा है
जो कल तक ठीक ही नहीं,
अधिकार लगता था लडको का?
ये आज से पहले क्यूँ नहीं आया मेरे विचार में.....
जय हिंद,जय श्रीराम,
कुंवर जी,
ha ye baat bilkul thik kahi
जवाब देंहटाएंकुंवर जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ab sab ठीक हैं
आपने ठीक कहा आज जहा भी देखो घूरती हुई नजरे ही दिखाई देती हैं.
फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई
जवाब देंहटाएंहर आदमी की फितरत यही है, कभी अपनी गलती नहीं मानता है
जवाब देंहटाएंबीती खुदपे तो कसमसाते है लोग,जिसका बाप मरता है वही रोता है :>))
यही तो आँखों का दोष है !
जवाब देंहटाएंमहान पोस्ट
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें और मुझे कृतार्थ करें
इस्लाम का नजारा देखें
दृष्टिदोष
जवाब देंहटाएंइलाज एम एम गु्प्ता अस्पताल
आदर्श महिला महाविद्यालय के सामणै
भिवाणी मै करवाणा पड़ैगा।:)
राम राम
सही कहा, कलुष तो स्वयं के भीतर ही होता है।
जवाब देंहटाएंबुरा जो देखन मैं चला बुरा ना मिलया कोय।
जो दिल खोजा आपना मुझसा बुरा ना कोय॥
hansi hansi mein badi baat.. waah :)
जवाब देंहटाएंजबरदस्त पोस्ट , सच में यही तो बन्दों को अकल आती हैं कि मैं कितना गलत हूँ जो दोहरे मानदंड रखता हूँ . और यही से व्यक्ति परिपक्वता कि तरफ बढ़ता हैं . नहीं तो बस लगता हैं कि मेरा खून तो खून हैं पर औरो का खून पानी .
जवाब देंहटाएंbehad khub
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे विचार।
जवाब देंहटाएंकाश! सभी ऐसा सोच पाते...
जवाब देंहटाएंyahi sach hai
जवाब देंहटाएं@रश्मि जी,@फिरदौस जी- ये सच तो है पर बहुत घिनौना सच है!लोग ऐसा तब ही सोचते है जब वो खुद भुगतते है!
जवाब देंहटाएं@शेखर जी,@मनोज जी-आपको अच्छा लगा,धन्यवाद है जी!
कुंवर जी,
@शर्मा जी-@सर जी
जवाब देंहटाएं-जिनके लिए या जिनके कारण लिखा गया है वो शायद इसे पढेंगे भी नहीं और जो पढ़ रहे है वो ऐसा कुछ करते नहीं!मेरी तो कुछ समझ में नहीं आता जी!
@प्रतीक जी-आपका स्वागत है जी,
@अवधिया जी-आपका भी स्वागत है जी,आप बिलकुल सही कह रहे हो जी,
@शेखर जी,@मनोज जी-आपको अच्छा लगा,धन्यवाद है जी!
कुंवर जी,
@गोदियाल जी आपके सहयोग के लिए मै आभारी हूँ जी,
जवाब देंहटाएं@अमित भाई साहब-आपकी लेखनी हर बार कत्लेआम मचाती है जी,
@संजय भाई साहब,@राणा साहब और @पूजा जी-आपका सभी का हार्दिक धन्यवाद है जी!
आप सब यूँ ही प्यार बरसाते रहना जी,हम यूँ ही भीगते रहेंगे ताउम्र.....
कुंवर जी,
आपकी अभिव्यक्तियाँ लाजवाब हैं.
जवाब देंहटाएं'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती रचनाओं को प्रस्तुत कर रहे हैं. आपकी रचनाओं का भी हमें इंतजार है. hindi.literature@yahoo.com
सच है ... जब अपने पर बीतती है तो पता चलता है ...
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