यहाँ सुनील जी को पढ़ा तो मुझसे रहा ना गया!मै वहा भी इस बात पर अपनी असहमति उनसे जता चुका हूँ!पर लगा वो पर्याप्त नहीं है!
मै नहीं मानता कि ब्लॉगजगत केवल आतंकवादियों और उनके समर्थको से या नपुन्सको से ही भरा पड़ा है!एक-आध गन्दी मछली तालाब को गन्दा दिखा जरुर सकती है पर उसे गन्दा नहीं कर सकती!मेरा तो ऐसा ही मानना है!हम सभी की एक पहचान बन गयी है!भले ही वो हमने ही बनायी हो,बन गयी है!बस उसी को सजाने,सवांरने के चक्कर में हम कई जगह,जहाँ विरोध जरुरी है विरोध और जहाँ समर्थन जरुरी है समर्थन नहीं दिखा पाते!ये हमारी मजबूरीतो है पर कमजोरी नहीं हो सकती!कुछ पंक्तियाँ यहाँ प्रस्तुत करना चाहूँगा....
जो मजबूत है
वो मजबूर भी तो हो सकता है,
जो हो गया प्रभु मर्जी जान
उसे मन्जूर भी तो सकता है,
मौन उसका
प्रतिशौध का तंदूर भी तो हो सकता है,
भ्रम कैसा भी हो
वो दूर भी तो सकता है!
हिन्दू बेचारा नहीं है,
उनको बेचारा जान सहम जाता है,
विनाश देखा है कई बार उसने,
इसीलिए उन पर रहम खाता है,
अपनी बलि देकर भी शांत हो जाए माहौल,
ये सोच मरता जाता है,
ना कुरेदो उसकी आत्मा को,
भड़का तो तांडव भी वो मचाता है!
कुछ तो उन्ही की पोस्ट पर टिप्पणी स्वरुप पहले भी लिखी जा चुकी है कुछ नयी है!मै बस यही बताना चाह रहा हूँ कि
यहाँ कोई भी कमजोर नहीं मजबूर नहीं,
बस वो मान बैठे है कि हम उस परमात्मा के नूर नहीं,
बस थोडा मुह फिर गया है सच्चाई से,वो सच से दूर नहीं,
सच्चाई है कडवी तो लगेगी ये कोई लड्डू मोती चूर नहीं!
जय हिन्द,जय श्रीराम,
कुंवर जी,
कुंवर जी,
आपसे सहमत हैं...
जवाब देंहटाएंवाह, १०० टके की बात कह दी कुंवर जी
जवाब देंहटाएंEk baat aur , aap apne blog se kuch saamgree hataaiye . aksar meraa computer hang ho jaataa hai !
जवाब देंहटाएं@फिरदौस जी आपके सहयोग से मेरा हौसला और बढ़ गया है!
जवाब देंहटाएं@गोदियाल जी -मै आपसे सहमत हूँ!मै स्वयं भी सोच रहा था इस बारे में....
आज ही अभी अमल होगा जी...
कुंवर जी,
वाह,,किसी बात को कविता के माध्यम से कहना,वो भी तत्काल लाजवाब.,,,आपसे सहमत हूँ ...अच्छा लगा ....
जवाब देंहटाएंविकास पाण्डेय
www.vicharokadarpan.blogspot.com
सार्थक सोच की अभिव्यक्ति /
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंKAVITA KE MADHYAM SE 100 PER 100 TAKE KI BAAT KEH DI..
जवाब देंहटाएंDHANYAWAAD
DHANYAWAAD KUNWAR JI BLOG PAR ANE AUR AUR MERA HOSLA BADHANE KE LIYE
जवाब देंहटाएंUMEED HAI AGE BHI MERA HOSLA BADHAYEGE
sahi kaha kunwar ji..par aaj ka yuva bhatak gaya hai...25 varsh se kam umr ke jyadatar yuvak dharm se door ho gaye hain...unhe dharm ka gyaan hona zaruri hai varna kahin dharm khatm na ho jaaye...
जवाब देंहटाएंकुंवर जी हमारी बात का सार्थक जबाब देने के लिए धन्याबाद।
जवाब देंहटाएंआपने कविता के माध्यम से हमारे दिल की बात कह दी
बस एक ही प्रश्न
पुष्प कांटो में खिलते हैं,
दीप अंधेरों में जलते हैं
आज नहीं युगों से प्रहलाद,
पीड़ाओं में पलते हैं
भला यातनाओं के बल पर,
क्या कभी क्रांतिकारी रूकते या डरते हैं?
आखिर कब तक हम अपनों की बलि चड़ता देखकर भी चुप रहेंगे?
एक पसंद के चटके के साथ लौट रहें हैं आपसे ये जानने के लिए कि गद्दारों की सरदार के वारे में आपकी क्या राय है।अपनी पोस्ट पर आपके जबाब के इन्तजार में
जवाब देंहटाएंक्या आपने देखा कि आपकी इस पोस्ट को एक नपुंसक गद्दार ने नापसंद किया है।इसन पुंसक गद्दार को ये अच्छा नहीं लगा कि आपने इस गद्दार के अस्तितव को नकार दिया।शायद यही गद्दार हमारी हर पोस्ट को नापसंद कर अपने होने का एहसास करवाता है
जवाब देंहटाएंआपकी बातों से मैं भी सहमत हूँ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया कविता, कुंवर जी, बधाई।
जवाब देंहटाएंअजी आपकी बात से असहमत होने का तो कोई सवाल ही नहीं हैं...बस अपनी बनी उस पहचान को संजाने संवारने का ही चक्कर है..
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने ......बहुत खूब
जवाब देंहटाएंकुंवर जी कुछ दिन पहले आपने एक पोस्ट में कहा था की
जवाब देंहटाएं"बेचारा हिंदू होगा "
वाकई बहुत जबरदस्त लेखन दिखा आज आपकी कल्पना का.
आभार
बिल्कुल सही भईया आपने , एक-एक शब्द से सहमत हूँ ।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही और तार्किक रूप से कही है अपनी बात...और इस बात से मैं हाउ प्रतिशत सहमत हूँ...बहुत बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंआप सभी के समर्थन के लिए आप सभी का दिल से धन्यवाद है जी....
जवाब देंहटाएंकुंवर जी,
कुँवर जी .
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय कथ्य ।
कुछ रोग ऐसे हैं
जिन्हे कुकरौंधा चाहिए ।
कुछ लोग ऐसे हैं
जिन्हे ..........चाहिए ।
प्रशंसनीय ।
जवाब देंहटाएंहम सब देश व समाज के लिए समर्पित हैं ।
आज पता नहीं क्या दिक्कत आई हुई है!मुझे अपनी पोस्ट पर आये सारे कमेन्ट नहीं दिख रहे है,इसी कारण मै सभी को समुचित सम्मान नहीं दे पा रहा हूँ!मुझे आशा है आप मेरी समस्या को समझेंगे!आप सभी के सहयोग और समर्थन के लिए एक बार फिर धन्यवाद है जी...
जवाब देंहटाएंकुंवर जी,
मैं आप की बात से सहमत हूँ
जवाब देंहटाएंआपने तो सही बात कही, पर बहुत से जाहिल लोग रोज ही ऊल जलूल बातें लिखकर माहौल को खराब करते रहते हैं।
जवाब देंहटाएं--------
क्या हमें ब्लॉग संरक्षक की ज़रूरत है?
नारीवाद के विरोध में खाप पंचायतों का वैज्ञानिक अस्त्र।
ठीक कहा आपने
जवाब देंहटाएंमैं कई दिनों बाद ब्लॉग पे लोटी हू
आगे ब्लॉग पे बनी रहूंगी
जवाब देंहटाएंकुंवर जी आप संजीव राणा जी को जानते हो क्या?
100% Sahmat aapki bat se Kunvar ji ...
जवाब देंहटाएंIndeed there are many GEMS in Blog-jagat.
जवाब देंहटाएं@zeal जी-आपका स्वागत है..
जवाब देंहटाएंआप सभी का धन्यवाद है जी,यहाँ आकर मेरा उत्साहवर्धन करने पर....
कुंवर जी,