शुक्रवार, 7 मई 2010

जी हाँ!कसाब के साथ मै भी राष्ट्रद्रोही हूँ!क्या आप मुझे माफ़ करेंगे,मेरे इस राष्ट्रद्रोह के लिए.....

आज जैसे ही मैंने अखबार पढने के लिए उठाया तो कसाब को फांसी की सजा बुलने की खबर को ही मुख्य पाया!बढ़िया भी लगा!दिल में एक ख़ुशी की लहर सी तो दौड़ी थी सच में!लेकिन तभी वो ख़ुशी थोड़ी सी बेइज्जती में तब्दील होकर मेरी देशभग्ति की भावना पर प्रशनचिंह बन कर खड़ी हो गयी!


हम या तो देशभग्त है या फिर देशद्रोही!तीसरा कोई विकल्प नहीं होना चाहिए मेरे हिसाब से!कसाब देशद्रोही,उसको सजा मिलने से जिसे भी स्थायी ख़ुशी हुई वो देशभक्त!अखबार में भी उन सभी सच्चे देशभक्तों की फोटो छापी थी जिन्होंने देश में जगह-जगह अपनी ख़ुशी पटाखे फोड़ कर,जुलुस निकाल कर या ऐसे-वैसे-जैसे कैसे भी प्रदर्शित की थी!इसने तो सीधे मेरे देशभक्त होने पर सवाल खड़ा कर दिया जी!


मैंने ना तो पटाखे फोड़े,नकिसी जलसे-जुलुस में हिस्सा लिया और नहीं कसाब या आतंकवाद के पुतले फूंके!मै निर्लज्ज अपने रोज के कामो में ही उलझा रहा!अब पराइवेट कम्पनी(फेक्टरी) में नौकरी कर रहा हूँ तो क्या मेरी भक्ति बस मालिक के प्रति रहनी चाहिए,अपने देश की बजाये?


अरे क्या मै एक दिहाड़ी भी नहीं छोड़ सकता देशभक्ति दिखाने के लिए!ये कैसी देशभक्ति भई?फिर उसे फांसी मिलने की ख़ुशी तो मै मना ही नहीं रहा,साथ में ऐसी-वैसी खबरे भी पढ़ रहा हूँ!एक खबर नीचे दी गयी है!आप भी पढ़े......




"मौत की सजा मिलने में लगेंगे कई साल!

नई दिल्ली। अजमल आमिर कसाब की मौत की सजा पर अमल में कई साल लग सकते हैं। मौत की सजा पाने वाले दोषियों की सूची में उसका नंबर तीसवां हो सकता है। विशेष अदालत से सजा मुकर्रर होने के बाद हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और फिर राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका के मौके बाकी हैं। कसाब की मौत की सजा पर मुहर लगाने के लिए विशेष अदालत ने अपने फैसले को बांबे हाईकोर्ट भेज दिया है। अपराध दंड संहिता के अनुसार निचली अदालत मौत की सजा पर स्वीकृति के लिए अपने फैसले को हाईकोर्ट भेजती है।


कानूनविद व वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के अनुसार कसाब की ओर से हाईकोर्ट में विशेष अदालत के फैसले को चुनौती दी जाएगी। हाईकोर्ट साक्ष्यों को परखने के बाद निचली अदालत के फैसले की सख्ती को कम भी कर सकती है। यदि हाईकोर्ट फैसले को जारी रखते हुए मौत की सजा को बरकरार रखती है तो कसाब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा। रोहतगी के अनुसार सर्वोच्च अदालत पिछले फैसलों, साक्ष्यों, तर्कों के आधार पर अंतिम फैसला जारी करेगी। यदि फैसले में मौत की सजा जारी रहती है तो कसाब की ओर से पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा सकती है। पुनर्विचार याचिका के खारिज होने के बाद कानूनी आधार पर क्यूरेटिव याचिका भी दाखिल होती है। सर्वोच्च अदालत में क्यूरेटिव याचिका के खारिज होने के बाद कसाब के पास राष्ट्रपति से दया की मांग करने का अंतिम रास्ता बचता है। राष्ट्रपति के पास पहले से ही अफजल गुरू समेत 29 गुनहगारों की दया याचिका विचाराधीन है।"


अब मै सोच रहा हूँ कि जब तक उसका समय समीप आएगा तो पता चले कि उसने महात्मा गांधीजी,रविन्द्र जी और विवेकानंद जी का साहित्य पढना शुरू किया हुआ है,और वो रामायण,गीता जैसे ग्रन्थ भी पढना चाहता है तो?


सरकार को उसे समय देना ही पड़ेगा!उसकी साहित्यिक जरुरत को पूरा करने के लिए!फिर पता चलता है कि उसका ह्रदय-परिवर्तन हो गया!तो?
हमारी सरकार दरिया-दिली दिखाते हुए श्री कसाब जी को बा-इज्जत बरी करने पर विवश होगी!और अब पता चलता है कि ये महाराज वापस पाकिस्तान नहीं जाना चाहते!भारत के द्वारा की गयी सेवा से वो प्रसन्न हुए और वो यही रहने का मन बना रहे है!उन्होंने भारत सरकार से इसकी अपील भी कर दी!
भारत सरकार जरुरत से भी ज्यादा उदार होने का एक उदाहरण और देती है!वो कसाब जी को ना सिर्फ भारतवासियों की छाती पर रहने की अनुमति देती है बल्कि आगामी चुनाव में अपना प्रत्याशी भी घोषित कर देती है!
इसका चुनाव जितना तो निश्चित ही था,जनता भी तो भावुक है भई!बेचारा,अपना देश छोड़ कर हमारे यहाँ रह रहा है,इस बार तो इसे ही वोट दे देते है!
अब वो प्रधानमन्त्री पद का दावेदार.......!
अब! 


अब आप ही बताये!मै देश भक्त तो हुआ नहीं,देशद्रोही ही हो सकता हूँ!जी हाँ!कसाब के साथ मै भी राष्ट्रद्रोही हूँ!क्या आप मुझे माफ़ करेंगे,मेरे इस राष्ट्रद्रोह के लिए.....


जय हिंद,जय श्रीराम,
कुंवर जी,

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सटीक बात लिखी है....यहाँ यही होता आया है....

    जवाब देंहटाएं
  2. @फिरदौस जी,@आदरणीय संगीता जी,यदि ये बात सटीक है तो क्या बेहद शर्म करने के लायक बात नहीं है!



    कुंवर जी,

    जवाब देंहटाएं
  3. Great, i agree with u

    अब हिजड़े "फौजिया शर्मा" के नाम पर "इस्लाम" का प्रचार कर रहे हैं

    जवाब देंहटाएं
  4. ये भारत हैं मेरी जान
    यहाँ कुछ भी हो सकता हैं
    इसको जिन्दा रखने में पचास करोड खर्च किये हैं इतनी जल्दी मरवाने के लिए नही

    जवाब देंहटाएं
  5. सही कहा राणा सहाब्!इस बारे मे तो सोचा ही नही था!

    कुंवर जी,

    जवाब देंहटाएं
  6. अभी कुछ देर पहले टाइम्स पर अफजल हरु के बारे में यह खबर पढी थी कि सरकार ने अभी तक उसकी मर्सी पीटिशन राष्ट्रपति के पास भेजे ही नहीं, तो राष्ट्रपति निर्णय कहा से देगा ? यानी मतलब साफ़ है कि वो अफजल गुरु को फांसी दिलवाने में जानबूझकर देर कर रहे है !

    MUMBAI: Though it has been widely believed that the mercy petition of Mohammed Afzal Guru, who was sentenced to death in the December 2001 Parliament attack case, has been pending at Rashtrapati Bhavan since January 4, 2006, a senior official on Wednesday said that the petition is not yet ready to be considered by President Pratibha Patil.

    "Afzal Guru's mercy petition is not pending with the President's office. As per official records, it is currently pending with the government of New Delhi,'' the official said.

    जवाब देंहटाएं
  7. गोदियाल जी आपने तो बड़ी अजीब सी जानकारी दी!क्या समझ रहे थे,है क्या?वैसे देश हमारा ही है जी....

    @संजय भई-शुक्रिया!

    @इस्लाम की झलक दिखाने वालो का भी धन्यवाद है जी!

    कुंवर जी,

    जवाब देंहटाएं
  8. ये क्यों भूल गए के भारत ने २६\११ के एक आतंकवादी को जिन्दा पकड़ा और उसके पाकिस्तानी होने के बावजूद फांसी कि सजा सुनाई....इतना जल्दी हमें किसी केस का फैसला लिया....judge shahb 2 या तीन घंटों से ज्यादा कभी सो नहीं पाए.....में दिल से कहती हुं मेरा भारत महान....बस बुराईयाँ देखना ही जरुरी तो नहीं...कुछ कमियां हैं..कहाँ नही होती???

    जवाब देंहटाएं
  9. सजा तो कुछ ऐसी होनी चाहिये थी कि इनके आकाओं की रुह तक काँप उठे।

    जवाब देंहटाएं
  10. सिर्फ कसब को फंसी पे लटकाने से ही, समाश्या ख़त्म हो जाएगी या सिर्फ पटाखे छोड़ने से ही हम सच्चे देशभक्त कहला पायेंगे. इसके अलावा हम खुद किस तरह देश-प्रेम निभा पा रहे है, और हमारे किन कामो से देश को चोट पहुँच रही है ये हमें ही देखना होगा. टैक्स चोरी हम करते है, पानी की बर्बादी हम करते है, बिजली हम गवां रहे है ............ सोचना तो हमें ही पड़ेगा

    जवाब देंहटाएं
  11. aisa bhi nahi hai kunwar ji aap til ka taad mt bnaya kijiye hr baat ka aapko bhi pta hai use saza e maut hi hogi . aap to hmesha hi bhadkau kyon bolte hai
    jis desh me rahte hai uspe is hd ko kichhd mt uchaliye
    kanoon sarvopari hai . ek hi to jinda saboot hai pakistan k khilaaf haan saja to usko milni hi chahiye .

    जवाब देंहटाएं

लिखिए अपनी भाषा में