tag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post6926249253107015947..comments2023-08-16T17:51:41.070+05:30Comments on kunwarji's: जीवन कोई दलदल है क्या........?....(क्षणिका)kunwarji'shttp://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-82062498176816106232010-06-07T18:17:35.175+05:302010-06-07T18:17:35.175+05:30aap sabhi ka aabhaar mujh tuchchh par ue gyaan-var...aap sabhi ka aabhaar mujh tuchchh par ue gyaan-varsha karne ke liye...<br /><br />kunwar ji,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-44984872116486697332010-06-06T08:34:32.662+05:302010-06-06T08:34:32.662+05:30अच्छा आलेखअच्छा आलेखMadhu chaurasia, journalisthttps://www.blogger.com/profile/07800523390622467943noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-56533143748373797932010-06-05T08:05:22.190+05:302010-06-05T08:05:22.190+05:30दलदल का तो पता नहीं पर आजकल जीवन दल जरूर बनता जा र...दलदल का तो पता नहीं पर आजकल जीवन दल जरूर बनता जा रहा है<br />बहुत सुन्दर क्षणिका; जीवन दर्शन के साथM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-8861514880273393372010-06-05T02:20:21.359+05:302010-06-05T02:20:21.359+05:30कभी कभी लगता तो है कि दलदल ही है...बेहतरीन क्षणिका...कभी कभी लगता तो है कि दलदल ही है...बेहतरीन क्षणिका!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-45556924757947486402010-06-05T01:09:48.239+05:302010-06-05T01:09:48.239+05:30अच्छे लोगों के साथ रहोगे तो गंगा जल सा लगेगा और द...अच्छे लोगों के साथ रहोगे तो गंगा जल सा लगेगा और दुष्टजनों के साथ रहोगे तो दलदल लगेगा।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-87444955540596086692010-06-05T00:10:07.141+05:302010-06-05T00:10:07.141+05:30जीवन को कब किसने जाना है कि यह क्या है .. इस दलदल ...जीवन को कब किसने जाना है कि यह क्या है .. इस दलदल से निकलने की हमे खुद कोशिश करनी होती हैशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-50561168864579375262010-06-05T00:06:47.041+05:302010-06-05T00:06:47.041+05:30बहुत सुंदर क्षणिका .....बहुत सुंदर क्षणिका .....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-7077656888562136562010-06-04T23:49:07.070+05:302010-06-04T23:49:07.070+05:30उलझन से भरा जीवन एक तो पहले ही दलदल था, इसपर देश म...उलझन से भरा जीवन एक तो पहले ही दलदल था, इसपर देश में इतने सारे दल और समाज में इतने दल कि जीवन इन्हीं दल्दल में उलझ कर रह गया है... गागर में सागर दिखती है आपकी कविता!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-69446382946390795972010-06-04T23:26:19.139+05:302010-06-04T23:26:19.139+05:30फिल्म- देशप्रेमी
गीत-महाकवि आनन्द बख्शी
संगीत- लक्...फिल्म- देशप्रेमी<br />गीत-महाकवि आनन्द बख्शी<br />संगीत- लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल<br />नफरत की लाठी तोड़ो<br />लालच का खंजर फेंको<br />जिद के पीछे मत दौड़ो<br />तुम देश के पंछी हो देश प्रेमियों<br />आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों<br />देखो ये धरती.... हम सबकी माता है<br />सोचो, आपस में क्या अपना नाता है<br />हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन संभालेगा<br />कोई बाहर वाला अपने घर से हमें निकालेगा<br />दीवानों होश करो..... मेरे देश प्रेमियों आपस में प्रेम करो<br /><br />मीठे पानी में ये जहर न तुम घोलो<br />जब भी बोलो, ये सोचके तुम बोलो<br />भर जाता है गहरा घाव, जो बनता है गोली से<br />पर वो घाव नहीं भरता, जो बना हो कड़वी बोली से<br />दो मीठे बोल कहो, मेरे देशप्रेमियों....<br /><br />तोड़ो दीवारें ये चार दिशाओं की<br />रोको मत राहें, इन मस्त हवाओं की<br />पूरब-पश्चिम- उत्तर- दक्षिण का क्या मतलब है<br />इस माटी से पूछो, क्या भाषा क्या इसका मजहब है<br />फिर मुझसे बात करो<br />ब्लागप्रेमियों... आपस में प्रेम करोKumar Jaljalahttps://www.blogger.com/profile/17272554213360157887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-83014742162550972512010-06-04T19:38:12.603+05:302010-06-04T19:38:12.603+05:30प्रिय हरदीप भाई ,
कविता तो धमाल हैं पर तस्वीर तो ब...प्रिय हरदीप भाई ,<br />कविता तो धमाल हैं पर तस्वीर तो बिलकुल mind blowing हैं . तुम देखो ये सात घेरे माया के सात आवरण हैं . यही सात घेरे तुम्हारे साथ जी रहे सूक्ष्म शरीर हैं . पांच तत्व ओर मन बूढी को मिलकर सात सूक्ष्म तत्व हैं . अब देखो शरीर में सात चक्र होते हैं . मैंने कितनी बार कहा हैं कि ईश्वर लिखवाता हैं और कुछ अपने आस पास प्रेरणा जैसा माहौल बनता हैं पर फिर वही जा कि रही भावना जैसी वाली बात के आधार पर कोई टिपण्णी करके बड़ाई दे जाता हैं . और कोई पढ़कर टिपण्णी खोलकर लिखता हैं कि आपका स्थूल संदेह दलदल वाला तो समाप्त हो जाता हैं पर फिर एक बड़ा भारी सूक्ष्म संदेह हृदय में छोड़ जाता हैं .<br />क्या कहू , मुझे एक पल में समझ में आया कविता पढ़ कर और देखो ना कवि जान पाया ना पाठक कि माया के दलदल में हरदीप फंसा छटपटाता<br />हैं समझाना चाहता हैं पर देखो सात पंक्ति भी नहीं लिख पाया क्योंकि सातवे के बाद ही माया हट जाती और हरदीप पार हो जाता . सिर्फ सात टिप्पणिया ही वास्तविक थी , बाकि मेरे जैसे सब फर्जी टिप्पणीकार थे -<br /><br />रहस्य खुलेगा तो कुछ समझ में भी नहीं आएगा ..!!!!!!!!!!!!!!!!१<br />टाइम पास कर रहा हूँ , गंभीरता से मत लेना <br />!! श्री हरि : !!<br />बापूजी की कृपा आप पर सदा बनी रहे<br /><br />Email:virender.zte@gmail.com<br />Blog:saralkumar.blogspot.comवीरेंद्र रावलhttps://www.blogger.com/profile/09408103952722535771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-81395904577212306652010-06-04T19:26:10.329+05:302010-06-04T19:26:10.329+05:30apni apni soch hai...par life daldal tto nahi hai....apni apni soch hai...par life daldal tto nahi hai...Saumyahttps://www.blogger.com/profile/03922889885887781227noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-36042379555506318072010-06-04T16:59:23.772+05:302010-06-04T16:59:23.772+05:30जीवन के दलदल में बिना फंसे किनारा नहीं मिलता....पर...जीवन के दलदल में बिना फंसे किनारा नहीं मिलता....पर यह अनुभव बहुत कुछ सोचने सीखने पर विवश करता है....<br /><br />-----------------<br />मेरी रचना 'अगले जनम' पर जो कहा मैं समझती पर मेरा रोष किसी बच्चे से नहीं...समाज की कटुता से है. क्या लडकियां समर्थ होकर अपना वजूद पा सकी हैं?<br />कुछ आज भी गर्त में , कुछ लीक से हटकर तूफ़ान...आज भी लोग चाहते बेटा ....<br />मैं खुद दो लड़कियों और एक बेटे की माँ हूँ , मैंने कोई अंतर नहीं किया , पर क्या सिर्फ मैं हूँ ?रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-89361984290329209952010-06-04T15:18:54.335+05:302010-06-04T15:18:54.335+05:30@माधव जी-जी बिलकुल ऐसा भी हो सकता है...
@शारदा जी...@माधव जी-जी बिलकुल ऐसा भी हो सकता है...<br /><br />@शारदा जी-आपका स्वागत है जी,बढ़िया तरीके से कही जी आपने अपनी बात!<br /><br />@पण्डित जी- जै राम जी कि,भला आपके आशीर्वाद के बिना भी कुछ सम्भव हो सकता है क्या...?<br /><br />@मीनाक्षी जी-आपका अनुभव जिन्दगी को खेल समझता है तो वो खेल भी होगा जी,लेकिन मै भी उसे खेल नहीं समझ नहीं पाया हूँ जी...पर अब चेष्टा करूंगा जी...<br /><br /> <br /><br />आप सब अनुभवी जनों के स्नेहाशीष से बहुत कुछ सीखना है जी...अपणे अनुभव के मोती यहाँ बिखेरने के लिए मै आप सब का आभारी हूँ...<br /><br />कुंवर जी,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-82711585587062578522010-06-04T15:13:27.690+05:302010-06-04T15:13:27.690+05:30यही समझने में तो सारा जीवन निकल जाता है ...यही समझने में तो सारा जीवन निकल जाता है ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-78214799344982641262010-06-04T14:40:36.644+05:302010-06-04T14:40:36.644+05:30जीवन को एक 'पज़ल' समझ लीजिए..तब सुलझाने मे...जीवन को एक 'पज़ल' समझ लीजिए..तब सुलझाने में मज़ा आएगा... खेल खेल मे ज़िन्दगी सरल और सहज हो जाएगी...मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-33156329485096578512010-06-04T14:20:45.448+05:302010-06-04T14:20:45.448+05:30जितना सुलझाना चाहता हूँ
उतना ही छटपटाता हूँ,
जितना...जितना सुलझाना चाहता हूँ<br />उतना ही छटपटाता हूँ,<br />जितना छटपटाता हूँ<br />उतना ही धंसता जाता हूँ,<br />जीवन कोई दलदल है क्या........?<br />समझ ही नहीं पाता हूँ...<br /><br />अगर किसी दिन समझ में आ जाए तो हमें भी जरूर बताईयेगा....हम भी इस रहस्य को जानने को बेताब हैं :-)Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-3904656558814340692010-06-04T14:14:13.840+05:302010-06-04T14:14:13.840+05:30नहीं भई , जब एक जगह खड़े होकर ग्रामोफोन की तरह एक ह...नहीं भई , जब एक जगह खड़े होकर ग्रामोफोन की तरह एक ही राग अलापोगे तो दलदल और किनारे खड़े होकर सुहाना सफ़र गुजरते हुए देखोगे तो सुहाना सफ़र ही पायोगे ।शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-81655943966477305382010-06-04T13:50:55.936+05:302010-06-04T13:50:55.936+05:30no life is not a mess, but we people make it mess ...no life is not a mess, but we people make it mess by our bad deeds, otherwise life is so good. we should thank our God for the world making soooooooo sweetमाधव( Madhav)https://www.blogger.com/profile/07993697625251806552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-12456593831378278542010-06-04T12:47:45.711+05:302010-06-04T12:47:45.711+05:30@शान्वाज भाई-आपने सही कहा...जिन्होंने समझा वो वैसा...@शान्वाज भाई-आपने सही कहा...जिन्होंने समझा वो वैसा का वैसा बता नहीं पाते और जिन्होंने बताया हम उसे वैसा का वैसा आत्मसात नहीं कर पाते,अजीब उलझन है........<br /><br />कुंवर जी,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-31345081511006764782010-06-04T12:37:45.361+05:302010-06-04T12:37:45.361+05:30@सोहिल जी-प्रणाम,
@गोदियाल जी- इसका दूसरा भाग आपन...@सोहिल जी-प्रणाम,<br /><br />@गोदियाल जी- इसका दूसरा भाग आपने ही बता दिया.....<br /><br />धन्यवाद है जी...<br /><br />कुंवर जी,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-66553553790101739372010-06-04T12:35:23.355+05:302010-06-04T12:35:23.355+05:30यह तो कोई भी समझ नहीं पाया है. :-)
"जितना सु...यह तो कोई भी समझ नहीं पाया है. :-)<br /><br /><i>"जितना सुलझाना चाहता हूँ<br />उतना ही छटपटाता हूँ,<br />जितना छटपटाता हूँ<br />उतना ही धंसता जाता हूँ,<br />जीवन कोई दलदल है क्या........?<br />समझ ही नहीं पाता हूँ..."</i>Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-46685628947513949132010-06-04T12:33:17.717+05:302010-06-04T12:33:17.717+05:30दो बाते है , एक यह की जीवन एक दलदल है और दूसरा ...दो बाते है , एक यह की जीवन एक दलदल है और दूसरा यह जीवन एक निर्मल बहता जल है ! विचारोतेजक !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-54377412958744147722010-06-04T12:32:49.750+05:302010-06-04T12:32:49.750+05:30बेहतरीन पंक्तियां
गूढ अर्थ लिये हुये
प्रणामबेहतरीन पंक्तियां<br />गूढ अर्थ लिये हुये<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.com