tag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post1497960724864297371..comments2023-08-16T17:51:41.070+05:30Comments on kunwarji's: हमारी ऐसी कौन सी मज़बूरी है जो आज़ादी सिर्फ विकारों को ही मानते जा रहे है!kunwarji'shttp://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-30614165369763002182010-06-29T09:40:35.461+05:302010-06-29T09:40:35.461+05:30आप सभी ने इन भावो को सम्मान दिया उसके लिए आभार.......आप सभी ने इन भावो को सम्मान दिया उसके लिए आभार....<br /><br />कुंवर जी,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-83488822058249977282010-06-28T13:03:21.604+05:302010-06-28T13:03:21.604+05:30बहुत अच्छी और सार्थक पोस्टबहुत अच्छी और सार्थक पोस्टरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-24123077484743989662010-06-27T11:11:15.097+05:302010-06-27T11:11:15.097+05:30जय भीमजय भीमसत्य गौतमhttps://www.blogger.com/profile/11175275197788938243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-61330645292477697662010-06-27T11:10:40.139+05:302010-06-27T11:10:40.139+05:30जय भीमजय भीमसत्य गौतमhttps://www.blogger.com/profile/11175275197788938243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-3843088061783442462010-06-26T00:06:18.785+05:302010-06-26T00:06:18.785+05:30कुँवर जी, ये किसी प्रकार की मजबूरी नहीं वरन् ह्रदय...कुँवर जी, ये किसी प्रकार की मजबूरी नहीं वरन् ह्रदय और मस्तिष्क में अपनी संस्कृ्ति, अपनी परम्पराओं के सजीव एवं महत्वपूर्ण तत्वों की जागृ्त चेतना का ह्रास ही मन के इस भ्रम का एकमात्र कारण है.....ऎसी चेतना जो आवश्यक रूप में अच्छाई-बुराई के विवेक से सहचरित होती है.<br /><br />साधुवाद इस बेहतरीन पोस्ट के लिए....परिचर्चा हेतु समय समय पर इस प्रकार के मुद्दे उठाए जाते रहने चाहिए..Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-72431570943277681252010-06-26T00:05:10.206+05:302010-06-26T00:05:10.206+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-57931376324683323732010-06-25T23:16:05.605+05:302010-06-25T23:16:05.605+05:30बहुत अच्छी और सार्थक पोस्ट...बहुत अच्छी और सार्थक पोस्ट...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-78343169467066332442010-06-25T22:38:37.330+05:302010-06-25T22:38:37.330+05:30इस बार तो कमाल कर दिया हरदीप . हर बात सत्य हैं औ...इस बार तो कमाल कर दिया हरदीप . हर बात सत्य हैं और मूल भाव बहुत ही प्रासंगिक हैं कि आजादी के नाम पर जो मानसिक विकृतिया समाज में आ रही हैं वो सही नहीं हो रहा हैं . माईड ब्लोइंग पोस्ट .<br />-- <br />!! श्री हरि : !!<br />बापूजी की कृपा आप पर सदा बनी रहे<br /><br />Email:virender.zte@gmail.com<br />Blog:saralkumar.blogspot.comवीरेंद्र रावलhttps://www.blogger.com/profile/09408103952722535771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-37812545308739443912010-06-25T22:03:47.393+05:302010-06-25T22:03:47.393+05:30मैकाले के सपनों को चकनाचूर करने के लिए सेकुलर गिरो...मैकाले के सपनों को चकनाचूर करने के लिए सेकुलर गिरोह को ठिकाने लगान जरूरी है।<br />आपकी हर बात से सहमतAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/02964602014678479457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-46930996166595570552010-06-25T20:11:25.273+05:302010-06-25T20:11:25.273+05:30कुंवरजी नमस्कार,
मैं आपके विचारों से सहमत हूँ. आ...कुंवरजी नमस्कार,<br /><br /> मैं आपके विचारों से सहमत हूँ. आपने इस विषय पर गहन मंथन किया और आपने उत्तम विचारों से विषय को और स्पष्ट किया. धन्यवाद.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-4385336658591950922010-06-25T18:14:15.009+05:302010-06-25T18:14:15.009+05:30@Rajey Sha जी- आपका स्वागत है जी,इतने सम्मान के ल...@Rajey Sha जी- आपका स्वागत है जी,इतने सम्मान के लिए आभार है जी...<br /><br />कुंवर जी,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-75968112685080879422010-06-25T17:15:14.353+05:302010-06-25T17:15:14.353+05:30आप जैसा सोचने समझने वालों का स्वागत है।
http://...आप जैसा सोचने समझने वालों का स्वागत है। <br /><br />http://rajey.blogspot.com/Rajeyshahttps://www.blogger.com/profile/01568866646080185697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-90278668588618430782010-06-25T15:41:07.587+05:302010-06-25T15:41:07.587+05:30@अमित भाई साहब-आपने बिलकुल सही कहा...पर इतना कहने ...@अमित भाई साहब-आपने बिलकुल सही कहा...पर इतना कहने से ही काम नहीं चलने वाला.....आप समझ गए होंगे...इसके लिए हमें एक ऐसी पौध तैयार करनी होगी जिसके फूलो में संस्कृति की महक हो और ये "एक-आध" बार की बुराई से बचने की परिपक्वता भी हो....<br /><br /><br /><br />@रत्नेश जी-सादर वन्दे...उत्साह-वर्धन के लिए धन्यवाद....जो भी ये गलत हो रहा है,उसके विरुद्ध हम सब को एक होना ही पड़ेगा....आपने सही कहा हमें अपना आत्म-विश्लेषण करना ही चाहिए...तभी हम किसी और के लिए अच्छे उदाहरण बन सकते है....नहीं तो बुरे उदाहरण तो हम है ही.....क्यों जी...?<br /><br />कुंवर जी,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-10088163643066037232010-06-25T15:38:22.843+05:302010-06-25T15:38:22.843+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-80626495435589714162010-06-25T15:32:00.217+05:302010-06-25T15:32:00.217+05:30@शाहनवाज भाई -आपका स्वागत है....हमें थोडा सा इन प्...@शाहनवाज भाई -आपका स्वागत है....हमें थोडा सा इन प्रश्नों के हल पर भी प्रकाश डालना चाहिए...<br /><br />@रचना जी- आपका स्वागत है जी.आप पहली बार यहाँ पधारी है.आभार!आपने सही बात कही जी,हमें अपने देश के संविधान का सम्मान करना चाहिए!आपने आगे जो भी कहा है उस पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए....सो उस पर बाद में चर्चा करते है....आप अपने अमूल्य विचारों से हमें यूँ ही मार्गदर्शन करती रहे.....<br /><br />कुंवर जी,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-73458372908289618732010-06-25T14:55:08.210+05:302010-06-25T14:55:08.210+05:30बहुत खूब!
"क्या हमारी वर्तमान शिक्षा हमें ये...<b>बहुत खूब!</b><br /><br />"क्या हमारी वर्तमान शिक्षा हमें ये सोचने पर विवश कर रही कि जो परंपरा या संस्कृति हमारी पिछली पीढ़ी ने निभायी वो एक ग़ुलामी और दकियानूसी के सिवाय कुछ नहीं...?<br /><br />क्या वो संस्कृति या परम्परा असल में ही वैसी ही है जैसा कि नयी पौध के कुछ पौधे उसे समझ रहे है?यदि नहीं तो क्यों उसने उन्हें अपने में नहीं ढाला?<br /><br />क्या हम खुद इतने संस्कारित नहीं रहे है कि आने वाली पीढ़ी तक उन संस्कारों को पहुंचा सके?"Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-442811949008872682010-06-25T14:37:40.172+05:302010-06-25T14:37:40.172+05:30sabsey pehlae ham sab apnae desh kae kanun aur sam...sabsey pehlae ham sab apnae desh kae kanun aur samvidhan ko padhey aur usmae diyae gaye niyamo kaa palan karey taaki desh kaa kanun sabkae liyae ek ho <br /><br />japan mae coca cola koi japani nahin peeta <br />japan mae english mae do japani aapas mae baat nahin kartey anytha jurmana hotaa haen <br /><br />aesae desh vyapak sudhar ki jarurat haen <br /><br />aur sabsey jarurii haen sanik ki tarah rehna , har bachcey ko saenik ki tarah shikshit karna <br /><br />ab hindi bloging mae hi daekhiyae kitnae log haen jo sarkari karmachari haen aur us samy mae bloging kartey haen yaa office kae connection kaa istmaal kartey haen kyaa yae sahii haen <br /><br />naetiktaa haemsha samajik hotee haen vyaktigat nahin vyaktigat banaaiyae sab khud theek hogaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-48908917389446268652010-06-25T13:33:20.895+05:302010-06-25T13:33:20.895+05:30@ कुछ ख़ास फर्क नहीं पड़ेगा और एक-आध बार मै ऐसा कर ...@ कुछ ख़ास फर्क नहीं पड़ेगा और एक-आध बार मै ऐसा कर भी डालता हूँ!तो क्या ये एक-आध बार करने कि प्रवृत्ति ही बड़ा कारण बन सकती है भविष्य में.....?<br /><br />बस यही कारण है सांस्कृतिक विचलन का. क्या फर्क पड़ता है करते करते ही हम यहाँ तक आ पहुंचे है की हमारी परम्पराएँ ही हमें उकताहट देने लगीं है .<br />मेरे एक मित्र है जो जापान के है. डेल्ही युनिवेर्सिटी से उन्होंने हिंदी में M.A. किया है, और अब जयपुर में एक कंपनी में जापान की कंपनी की तरफ से क्वालिटी कंट्रोलर का काम देख रहे है. वे भारत में आये सांस्कृतिक विचलन को अपने देश से तुलना करते हुए बतलातें है तो सिर शर्म से झुक जाता है. उनका एक ही बात पर जोर रहता है की क्यों आप सब तथाकथित उन्नति की मरीचिका के पीछे अपने देश की संस्कृति का सत्यानाश कर रहे है, हमारे जापान को देखिये टेक्नालोजी के मामले में इसका कोई मुकाबला नहीं है. लेकिन फिर भी हमारे जीवन में हमने इसे अंधाधुंध तरीके से नहीं अपनाया है...... बातें काफी है समय कम............ एक जापानी बंधु की पीड़ा भारत के लिए में सब कुछ स्पस्थ करने की कोशिश करूँगा..Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3458759417048229894.post-26745814169614443382010-06-25T12:35:16.437+05:302010-06-25T12:35:16.437+05:30सादर वन्दे !
आपने बिल्कुल सही लिखा है | बहस इस बात...सादर वन्दे !<br />आपने बिल्कुल सही लिखा है | बहस इस बात की नहीं होनी चाहिए की बड़ा कौन है! बहस इस बात की होनी चाहिए की हम कौन हैं और हमारे कृत्य क्या हैं हमारा अपना आचरण ही हमारे विचारों का दर्पण होना चाहिए |<br />रत्नेश त्रिपाठीaaryahttps://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com